बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफा देकर भागने के बाद से देश के अंदर हिन्दुओं के ऊपर अत्याचार शुरू हो गया है.बांग्लादेश में जगह-जगह पर हिन्दू मंदिरों और हिन्दू समुदाय पर हमले की खबरें आ रही हैं. बांग्लादेश से आ रही रिपोर्ट से पता चलता है कि हिन्दुओं के घरों और मंदिरों को निशाना बनाया गया है.इस्कॉन और काली मंदिर पर हमले हुए हैं, जिसके बाद हिन्दुओं को जान बचाने के लिए छुपना पड़ा है.मोदी सरकार पूरे मामले में पर नजर बनाए हुए हैं.लेकिन इन सबके बीच विपक्ष का बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार, लूटपाट और हिंदू मंदिरों पर हुए हमलों पर एक शब्द न बोलना कई प्रश्न खड़े करता है.
बांग्लादेश में एक हिन्दू संगठन ने दावा किया है कि शेख हसीना के हटने के बाद से सैकड़ों हिन्दू घरों, प्रतिष्ठानों और मंदिरों पर हमले किए गए.बांग्लादेश की 170 मिलियन आबादी में करीब 8 फीसदी हिन्दू हैं और उन्होंने ऐतिहासिक रूप से शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी को सपोर्ट किया है, जो मुख्य रूप से धर्मनिरपेक्ष के रूप में जानी जाती है.इसके उलट विपक्षी गठबंधन में एक कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी शामिल है.
बांग्लादेश के 27 जिलों में घरों में घुसकर हिन्दुओं के साथ मारपीट की जा रही है.हिन्दुओं के घरों में आग लगाई जा रही और उनकी दुकानें लूटी जा रही है.हिन्दुओं का बेरहमी से कत्लेआम हो रहा है.मंदिरों को आग के हवाले किया जा रहा है.हिंसा की आग में जल रहे बांग्लादेश में जगह- जगह धुआं उठ रहा है.हिन्दुओं की बस्तियों में चीख-पुकार मची है.पूरे देश में दंगाइयों ने आतंक का तांडव मचा दिया है.दंगाइयों ने बांग्लादेश के खुलना डिवीजन में एक इस्कॉन मंदिर को फूंक दिया.एक काली मंदिर में भी तोड़फोड़ के बाद आग लगा दी.
हिन्दुओं पर हो रहे हमले और अत्याचार की घटनाओं के बाद भी विपक्ष ने बेशर्मी का चोला धारण कर रखा है.इंडी गठबंधन के किसी एक भी नेता ने हिन्दुओं पर हो रहे हमले की खुलकर निंदा नहीं की.उलटे इन राजनीतिक दलों के समर्थक और सोशल मीडिया की टीमें ऐसे संदेश लगातार प्रसासित और प्रचारित कर रहे हैं कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार की खबरें फर्जी हैं.ऐसी खबरें तो देश की जनता को भड़काने के लिए स्वयं हिन्दूवादी संगठन फैला रहे हैं.बेशर्मी की हद तक इनकी राजनीति गिर चुकी है.
वहीं, बांग्लादेश में तख्तापलट की घटना के बाद से ही सोशल मीडिया पर ऐसे मैसेज की बाढ़ सी आ गई, जिसमें धमकी भरे अंदाज में समझाया गया कि ‘देश की जनता तानाशाह का तख्तापलट कर देती हैं.डरा नहीं रहा हूं, बस बता रहा हूं.’ इस पूरे मामले में देश की सबसे पुराने और सबसे ज्यादा शासन करने वाले दल कांग्रेस की चुप्पी हैरानी से ज्यादा चिंता का विषय है.2024 के चुनाव में जिस तरह कांग्रेस और इंडी गठबंधन में शामिल दलों ने मुस्लिम तुष्टिकरण को हवा दी, उससे आने वाले समय में हिन्दुओं की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है.
इंडी गठबंधन के किसी भी नेता ने यहां तक कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी तक ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर न एक शब्द बोला और सोशल मीडिया पर लिखा.मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले दल और नेता हिन्दुओं से जुड़े हर मुद्दे पर प्राय: चुप्पी साध लेते हैं.बांग्लादेश में जो भीड़ अत्याचार कर रही है, वो मुस्लिम है.उनके निशाने पर हिन्दू जनता और उनके मंदिर, दुकान और घर हैं.बावजूद इसके बड़ी बेशर्मी से ऐसे दलों के चेहते पत्रकार, यू -ट्यूबर और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर मुस्लिम आतंकियों, दहशतगर्दों और हिंसक भीड़ का समर्थन करते दिखाई देते हैं.इन आतंकियों, उपद्रवियों और गिरी मानसिकता वाली भीड़ को आंदोलनकारी साबित करने में जुटे हैं.वैसे भी इनके लिए आतंकी मासूम और राह भटके हुए युवा ही होते हैं.
पड़ोसी देश पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश में भी दशकों से हिन्दू समुदाय के खिलाफ उत्पीड़न जारी है, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश में हिन्दू आबादी में तेजी से कमी आई है.1971 में 22 प्रतिशत से घटकर 2022 में हिन्दू आबादी 7.9 प्रतिशत हो गई है.
पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ बलात्कार, हत्या, हिंदू धार्मिक संस्थानों पर हमले, जमीन हड़पना, जबरन मतांतरण एक सामान्य घटना बन गई थी.आंकड़ों के आलोक में बात की जाए तो वर्ष 2022 में बांग्लादेश में इस्लामवादियों द्वारा 154 हिन्दू लोगों की हत्या कर दी गई और 424 हिन्दू लोगों को इस्लामिक बदमाशों द्वारा मारने का प्रयास किया गया.इसी अवधि के दौरान 849 लोगों को जान से मारने की धमकी दी गई और उन हमलों में 360 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे.इनमें से 62 लोग अब भी लापता हैं.
इसी साल बांग्लादेश में 39 हिन्दू महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया और 27 हिन्दू महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया.17 हिन्दू महिलाओं की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई और 55 अन्य महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और बलात्कार करने का प्रयास किया गया.बांग्लादेश में 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2022 के दौरान 152 हिन्दू महिलाओं को जबरन इस्लाम कबूल कराया गया.
बात वर्ष 2021 की करें तो इस वर्ष भी बांग्लादेश में 46 हिन्दू महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया, और 411 से अधिक हिन्दू महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की गई.32 हिन्दू लोगों को कट्टरपंथियों द्वारा गोमांस खाने के लिए मजबूर किया गया और उसी वर्ष 252 हिन्दुओं को मार दिया गया.बांग्लादेश हो या फिर पाकिस्तान कहीं भी हिन्दुओं के साथ अत्याचार, उत्पीड़न, बलात्कार, धर्मांतरण, मंदिरों पर हमले और लूटपाट की किसी भी घटना पर विपक्ष की जुबान बंद ही रहती है.मुस्लिम व्यक्ति का नाम अपराधी, आतंकी और उपद्रवी के तौर पर सामने आते ही कांग्रेस समेत मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले तमाम राजनीतिक दलों और नेताओं को सांप सूंघ जाता है.
इन नेताओं के आंसू गाजा में हो रहे हमलों और अत्याचार पर तो निकलते हैं, लेकिन बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे हमले और अत्याचार पर इनके मुंह से हमदर्दी के दो शब्द नहीं निकलते.यही इनका दोगलापन और दोहरा व्यवहार है, जिसे ये गंगा जमुनी तहजीब और फर्जी सेक्युलरिज्म की आड़ में छुपाते हैं.पिछले कई सालों से देश में कई दलों के नेताओं ने सनातन धर्म का अपमान, हिन्दुओं के आराध्यों के बारे में अभद्र और आपत्तिजनक टिप्पणी और बयान दिये हैं.लेकिन किसी भी मुद्दे पर इंडी गठबंधन ने ऐसे नेताओं की निंदा नहीं की.राजनीतिक दलों ने ये उनका व्यक्तिगत बयान है कह कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के दिल में हिन्दुओं के प्रति कितनी नफरत भरी है, यह एक नहीं, कई बार उजागर हुआ है.यह तुष्टिकरण की राजनीति की पराकाष्ठा ही है कि वे हिन्दुओं के लिए बार-बार अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं.उन्हें भला-बुरा कहते हैं और हिंसक बताते हैं.यहां तक कि हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान तक करते हैं.पहले राहुल गांधी ने शक्ति का संहार करने की बात कही थी और अब धन की देवी लक्ष्मी और ज्ञान की देवी सरस्वती जिस कमल पर विराजती हैं, उसके बारे में ही संसद में अनाप-शनाप बोला.
इसमें कोई दोराय नहीं है कि अपने पूर्वी पड़ोसी मित्र देश बांग्लादेश में उपद्रव और राजनीतिक अस्थिरता भारत के लिए नई चुनौती बन गया है.वहीं विपक्ष की मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति, हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर चुप्पी चिंता का गंभीर विषय है.देश की जनता को ऐसे राजनीतिक दलों और नेताओं को समर्थन और वोट देने से पहले ये विचार करना चाहिए कि ये नेता सत्ता हासिल करने के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं.इतिहास साक्षी है कि ऐसे लोग किसी के सगे नहीं होते.सत्ता के लिए ये किसी भी विचारधारा के साथ खड़े हो सकते हैं.इनके लिए मानवता, संवेदना, अपनापन, भाईचारा और भावुकता सब राजनीतिक नफा-नुकसान के हिसाब से तय और प्रदर्शित होता है.
डॉ. आशीष वशिष्ठ
(लेखक, स्वतंत्र पत्रकार हैं.)
हिन्दुस्थान समाचार