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Opinion: कोचिंग सेंटर क्यों बन रहे मौत के सौदागर?

दिल्ली के एक आईएएस कोचिंग सेंटर में पानी भरने से हुई तीन छात्रों की मौत ने शिक्षण संस्थाओं की कार्यशैली पर फिर बड़ा सवाल खड़ा किया है. सवाल ऐसा जिसका जवाब शायद वो कभी न दे पाएं. क्योंकि ऐसे सवाल हर ऐसी घटना के बादवर्षों से पूछे जा रहे हैं.

Yenakshi Yadav by Yenakshi Yadav
Jul 29, 2024, 04:32 pm GMT+0530
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दिल्ली के एक आईएएस कोचिंग सेंटर में पानी भरने से हुई तीन छात्रों की मौत ने शिक्षण संस्थाओं की कार्यशैली पर फिर बड़ा सवाल खड़ा किया है. सवाल ऐसा जिसका जवाब शायद वो कभी न दे पाएं. क्योंकि ऐसे सवाल हर ऐसी घटना के बादवर्षों से पूछे जा रहे हैं. देशभर के छात्र अपना भविष्य बनाने की चाह लेकर कोचिंग सेंटरों में पहुंचते हैं. भारी भरकम फीस भरते हैं, लेकिन सुविधाओं के नाम पर सिर्फ हादसे और मौत? राजस्थान का कोटा शहर तो हादसों के लिए कुख्यात है ही, उस रास्ते पर अब दिल्ली भी चल पड़ी है. दिल्ली में सिविल सेवाओं की तैयारी का गढ़ माना जाता है. मुखर्जी नगर और राजेंद्र नगर में सालाना हजारों की संख्या में छात्र तैयारी करने जाते हैं. ज्यादातर कोचिंग सेंटर किराये के मकानों में संचालित हैं जिनमें जरूरत की सुविधाएं बिल्कुल भी नहीं होतीं.

राजधानी के ओल्ड राजेंद्र नगर में जिस कोचिंग सेंटर में हादसा हुआ है, वह भी किराये पर था. बेसमेंट में बारिश का पानी हमेशा से भरता रहता था, जिसे सेंटर वालों ने कभी गंभीरता से नहीं लिया. आस-पड़ोस और चश्मदीदों ने बताया कि सेंटर में पानी जमा होने की समस्या पुरानी है. ड्रेनेज की सही व्यवस्था नहीं है और साफ-सफाई भी नियमित रूप से नहीं होती. स्टूडेंट्स के रहने की व्यवस्था भी ठीक नहीं थी. जगह-जगह पर बिजली के तार भी गिरे रहते हैं, जिससे किसी को भी करंट लग सकता है. पिछले सप्ताह दिल्ली में अच्छी बारिश हुई जिसका पानी हादसे वाली राव कोंचिंग में इतना भर गया कि तीन होनहार बच्चे डूबकर मर गए. घटना के वक्त छात्र बेसमेंट में केबिन के भीतर पढ़ाई में मग्न थे, लेकिन उन्हें क्या पता था आज की पढ़ाई उनकी अंतिम होने वाली है. पानी के रूप में बेसमेंट में मौत प्रवेश कर चुकी है. छात्रों को नहीं पता था कि अंदर पानी भर आया है, क्योंकि बेसमेंट में रिसप्शन भी था, सेंटरकर्मी भी कई मौजूद थे, लेकिन अंदर पानी भरता देख वह छात्रों की सहायता करने के बजाय भाग खड़े हुए. घटना के वक्त राव कोचिंग का मुख्य संचालनकर्ता भी मौजूद था, वो भी भाग निकला. अगर ये लोग बच्चों को बचाने का प्रयास करते तो शायद उनकी जान बच जाती. लेकिन उन्होंने ऐसा करना मुनासिब नहीं समझा.

दिल्ली में कुकुरमुत्तों की भांति अब कोचिंग सेंटर संचालित हो चुके हैं. यूपीएससी, बैंकिंग, एनडीए, सैनिक, डिफेंस अकादमी आदि परीक्षाओं की तैयारी करने विभिन्न राज्यों से बच्चे दिल्ली पहुंचते हैं. दिल्ली में कोचिंग सेंटरों में छात्रों के हताहत होने की ये पहली घटना नहीं है, पूर्व में भी कई ऐसी घटनाएं हुईं, लेकिन पूर्ववर्ती घटनाओं से न प्रशासन ने कुछ सीखा और न ही कोचिंग संचालनकर्ताओं ने कुछ सबक लिया. सेंटर छात्रों से मोटी फीस वसूलते हैं, यूपीएससी के छात्रों से तो मुंह मांगा? छात्र और उनके परिजन उज्ज्वल सपनों का ख्याल करते हुए सभी मांगे पूरी करते हैं. पर, कोचिंग वालों को पढ़ाई के अलावा सुरक्षा संबंधित जो सुविधाएं बच्चों को मुहैया करवानी चाहिए, वो नहीं करते. कोचिंग वालों को सिर्फ शिक्षा के नाम पर धंधा करना होता है. इनके तार पुलिस और सफेदपोशों तक होते हैं ताकि कोई अनहोनी घटना होने पर सुलझा लिया जाए. दिल्ली की घटना के बाद हादसा करने वाला कोचिंग सेंटर का मालिक भी इसी के जुगत में है. उसके संबंध विभिन्न राजनीतिक दलों से बताए गए हैं, स्थानीय पुलिस में भी उसकी अच्छी सांठगांठ है.

बहरहाल, मन को झकझोर देने वाली घटना ने पूरे देश में कोहराम मचाया हुआ है. घटना से आक्रोशित सैकड़ों छात्र घटनास्थल पर धरने पर हैं. उनका दर्द शायद कोई समझ पाए, क्योंकि उन्होंने अपने तीन साथियों को खोया है. मृतक छात्रों के परिवारों को देखकर रूह कांपने लगती है. परिजन दिल्ली पहुंचकर बिलख रहे हैं. उन्होंने अपने दिल के टुकड़ों को भविष्य बनाने के लिए दिल्ली भेजा था, लेकिन प्रभु की लीला देखो, अपने कलेजे के टुकड़ों के शव लेकर घरों को लौट रहे हैं. हताहतों में एक छात्रा यूपी के अंबेडकरनगर और दूसरी तेलंगाना की तो वहीं तीसरा छात्र केरल के एर्नाकुलम का था. उत्तर प्रदेश की छात्रा श्रेया यादव के पिता दूध बेचते हैं, उनका सपना था बेटी अफसर बने.

दिल्ली सरकार ने घटना के संबंध में बेशक मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हों, लेकिन मृतक छात्रों के साथी चीख-चीख बोल रहे हैं कि घटना कोचिंग वालों की लापरवाही से हुई. घटना की सच्चाई एकदम सामने है. घटना बीते शनिवार को उस वक्त घटी जब कुछ छात्र पढ़ाई में मग्न थे, तभी बेसमेंट में पानी घुसा. बेसमेंट से निकलने का एक ही रास्ता था, जहां से पानी अंदर आया. दूसरा कोई रास्ता नहीं था. पानी घुसता देख कोचिंग कर्मी खुद की जान बचाकर भाग निकले, लेकिन बेसमेंट के केबिन में पढ़ रहे छात्रों को नहीं बचाया. मृतकों के नाम श्रेया यादव, तान्या सोनी और निविन हैं, तीनों यूपीएससी की तैयारी करते थे. पुलिस ने कोचिंग सेंटर के संचालकों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है और दिल्ली की मंत्री अतिशी ने घटना पर दुख जताते हुए, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है. लेकिन ये सब उस जख्म को कभी नहीं भर सकते जो मृतकों के परिवारों को मिल चुके हैं. कोचिंग सेंटरों को अपनी कार्यशैली बदलनी होगी, सिर्फ कमाई का जरिया सेंटरों को नहीं समझना चाहिए. छात्रों की सुरक्षा और सुविधाओं पर ध्यान देना होगा.

घटना होने के बाद कोचिंग मालिकों और शिक्षकों का रवैया भी हैरान करता है. इतने बड़े हादसे के बाद भी एक भी शिक्षक छात्रों के समर्थन में खड़ा नहीं दिखाई दिया, सभी फरार हैं. कोचिंग सेंटरों में हादसे होने की एक बड़ी सच्चाई ये भी है, ज्यादातर सेंटर बेसमेंट में हैं और लाइब्रेरियां भी उन्हीं में है. ऐसा राजनीतिक नेताओं, एमसीडी अधिकारी और जमीन मालिकों के बीच सांठगांठ से संभव होता है. दिल्ली के करीब 90 फीसदी कोचिंग सेंटरों की लाइब्रेरी बेसमेंट में है. इसके अलावा कोचिंग में पढ़ने वाले छात्र छोटे-छोटे कमरों में रहते हैं जिनमें न खिड़कियां होती हैं और न घटना होने पर निकलने की कोई आपात सुविधाएं. दिल्ली में कोचिंग सेंटरों के पास उपयुक्त इन्फ्रॉस्ट्रक्चर नहीं हैं, उन्होंने सड़कों पर अतिक्रमण किया हुआ है. दीवारें होर्डिंग से पाट रखी हैं. क्या ये सब एमसीडी अधिकारियों को नहीं दिखाई देता? कुल-मिलाकर ऐसे हादसे राजनीतिक पहुंच, एमसीडी और कोचिंग संस्थानों के मालिकों के बीच गठजोड़ का ही नतीजा होते हैं. घटना के बाद कई कोचिंग सेंटरों को सील किया गया है, जांच के नाम पर धरपकड़ तेज हुई है. लेकिन ये तभी तक है जब तक घटना का शोर रहेगा, शोर शांत होते ही कोचिंग वाले फिर से एक्टिव हो जाएंगे. जनता और व्यवस्था नए हादसे का इंतजार करेगी.

डॉ. रमेश ठाकुर
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं.)

हिन्दुस्थान समाचार

Tags: Delhi Coaching Center DeathDelhi PoliceOld Rajendra NagarRAU IAS Coaching CenterUPSC Aspirants
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