शिमला: विपक्षी दल भाजपा ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पर हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग बोर्ड में हुए कथित घोटाले को दबाने का आरोप लगाया है.
भाजपा प्रवक्ता संदीपनी भारद्वाज ने मंगलवार को कहा कि मार्केटिंग बोर्ड में सात करोड़ के विवादित टेंडर को आखिरकार रद्द कर दिया गया है. हम कांग्रेस के नेताओं से पूछना चाहेंगे कि ऐसी क्या नौबत आ गई थी कि इस टेंडर को रद्द करने की जरूरत पड़ गई? अगर सब कुछ ठीक था तो इस टेंडर को होने क्यों नहीं दिया ?
बोर्ड ने अब फर्म की ओर से आई अतिरिक्त जीएसटी की डिमांड के बहाने यह फैसला लिया हैं. संदीप भारद्वाज के मुताबिक बोर्ड ने कहा है कि क्योंकि अतिरिक्त किसी तरह का भुगतान नहीं हो सकता, इसलिए बोर्ड टेंडर के लेटर आफ इंटेंट को ही वापस ले रहा है.
उन्होंने कहा कि यह भ्रष्टाचार को छुपाने का सबसे बड़ा उदाहरण हिमाचल प्रदेश में सामने निकल कर आया है. सब्जी और फल मंडियों की डिजिटाइजेशन को लेकर ये टेंडर हुआ था, उसके बाद मुख्य सचिव कार्यालय बीच में आया और इस बारे में सारी रिपोर्ट मांगी. विवाद ये था कि मार्केटिंग बोर्ड के एमडी इस टेंडर को दोबारा से करने की बात फाइल पर लिखते रहे, लेकिन कृषि सचिव एवं चेयरमैन मार्केटिंग बोर्ड ने टेंडर अवार्ड कर दिया. अवार्ड करने का फैसला भी टेंडर कमेटी के कई सदस्यों और अध्यक्ष की अनुपस्थिति में हुआ था.
संदीपनी भारद्वाज ने कहा कि टेंडर अवार्ड करने में राज्य सरकार के स्थापित वित्तीय नियमों की अनदेखी हुई थी. मार्केटिंग बोर्ड और चेयरमैन के एकमत न होने के कारण टेंडर कॉल एमडी ने किया था, लेकिन अवार्ड लेटर चेयरमैन ने दिया. इस बारे में अभी एग्रीमेंट नहीं हुआ था, इसलिए टेंडर कैंसल करना एक विकल्प था.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में मार्केटिंग बोर्ड के तहत इस समय कुल 74 सब्जी एवं फल मंडियां हैं. इनमें से 36 मंडियां ऐसी हैं, जो साल भर ऑपरेशनल रहती हैं. बाकी मंडियां अधिकांश सीजनल हैं. ऐसे में इन मंडियों में किसान लेकर लेकर लदानी तक का रिकॉर्ड डिजिटाइज करने के लिए यह टेंडर किया जा रहा था, लेकिन टेंडर की प्रक्रिया विवादित हो गई थी.
हिन्दुस्थान समाचार