मंडी: संयुक्त किसान मोर्चा ने मंडी की सांसद कंगना रनौत के कार्यालय में जाकर वहां मौजूद प्रतिनिधि के माध्यम से उन्हें एक ज्ञापन सौंपा जिसमें मांग की गई कि केंद्र सरकार के साथ जो 9 दिसंबर 2021 को समझौता हुआ है उसे लागू किया जाए, अन्यथा किसान देश भर में फिर से आंदोलन खड़ा कर देंगे. ज्ञापन प्रस्तुत करने वाले प्रतिनिधिमंडल में किसान नेता कुशाल भारद्वाज, जोगिंदर वालिया, रामजी दास, प्रेम चौधरी, हेम राज, ललित ठाकुर तथा सुरेश सरवाल आदि भी शामिल रहे.
इस बारे विस्तृत जानकारी देते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के नेता एवं किसान सभा के जिला अध्यक्ष कुशाल भारद्वाज ने बताया कि 16 से 18 जुलाई को देश भर में हर सांसद को इस तरह के ज्ञापन दिये जा रहे हैं. इस दौरान मंडी की सांसद कंगना रनौत के अपने संसदीय क्षेत्र से बाहर होने के चलते मंडी स्थित उनके कार्यालय सचिव के माध्यम से यह ज्ञापन सौंपा गया.
कंगना रनौत को सांसद बनने की बधाई देते हुए कहा किसान प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि हमारे प्रतिनिधि के रूप में हम आपको नागरिकों के अधिकारों और लोक-कल्याण की रक्षा और संवर्धन के लिए अपना समर्थन और सहयोग देने का आश्वासन देते हैं. हम, देश के किसान और मजदूर, चुनाव प्रक्रिया के दौरान अपनी आजीविका के मुद्दों को लेकर, स्वतंत्र रूप से और साथ ही संयुक्त रूप से, एक लंबे मुद्दे-आधारित संघर्ष में लगातार अभियान चला रहे थे. इन संघर्षों ने बड़े पैमाने पर लोगों में आत्मविश्वास भरा, मीडिया को प्रभावित किया, और भारत के संविधान में निहित लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और संघीय सिद्धांतों और सामाजिक आरक्षण की रक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे लाने में मदद की.
जिला सचिव रामजीदास ने कहा कि केंद्र सरकार को यह समझना चाहिए कि सत्तारूढ़ गठबंधन को पांच राज्यों में 38 ग्रामीण लोक सभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है जहां किसान आंदोलन मजबूत था. पूरे ग्रामीण भारत में सत्तारूढ़ गठबंधन ने 159 सीटें खो दी हैं. यह लंबे चले आ रहे कृषि संकट का परिणाम है और यह भविष्य में कृषि नीतियों में बड़े बदलाव की आवश्यकता को रेखांकित करता है. एनडीए-2 सरकार को एसकेएम और केन्द्र सरकार के बीच 9 दिसंबर 2021 को हुए समझौते के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि हमारी लंबे समय से लंबित मांग जैसे कि लाभकारी और गारंटीकृत एमएसपी के साथ खरीद, व्यापक ऋण माफी, बिजली के निजीकरण को निरस्त करना आदि शामिल हैं. 736 शहीदों के सर्वोच्च बलिदान और 384 दिनों – 26 नवंबर 2020 से 11 दिसंबर 2021 तक दिल्ली की सीमाओं पर लगातार और उग्र संघर्ष में भाग लेने वाले लाखों किसानों की पीड़ा की पृष्ठभूमि में, इस समझौते पर भारत सरकार के कृषि विभाग के सचिव ने हस्ताक्षर किए.
हिन्दुस्थान समाचार