नई दिल्ली: डोडा के घने जंगलों में आतंकवादियों के घात लगाकर किये गए हमले में एक कैप्टन समेत चार जवानों के बलिदान से एक बार फिर पाकिस्तान को सर्जिकल स्ट्राइक का डर सताने लगा है. यही वजह है कि पाकिस्तान की वायु सेना ने अपनी लड़ाकू हवाई गश्त बढ़ा दी है. जम्मू रीजन में 78 दिन के भीतर 11 आतंकी हमले हुए हैं, जिनमें 11 जवान शहीद हुए हैं. चार साल से एलओसी पर सीज फायर बरकरार रहने और पीर पंजाल की पहाड़ियों के दक्षिणी ओर आतंकी हमले बढ़ने से खुफिया एजेंसियों पर सवाल उठने लगे हैं.
उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचेन्द्र कुमार ने डोडा में बलिदान जवानों कैप्टन बृजेश थापा, नायक डी राजेश, सिपाही बिजेन्द्र और सिपाही अजय कुमार सिंह को श्रीनगर में श्रद्धांजलि अर्पित की है. उन्होंने डोडा में आतंकवाद विरोधी अभियान चलाते हुए क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने पर इन जांबाजों को सलाम किया. जम्मू-कश्मीर में सलामी देने के बाद चारों बलिदानियों के पार्थिव शरीर उनके पैतृक स्थानों पर भेज दिए गए हैं, जहां आज राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी जा रही है.
भारतीय सेना ने मंगलवार सुबह से ही डोडा के जंगलों में तलाशी अभियान चला रखा है, क्योंकि माना जा रहा है कि पहाड़ की सबसे ऊंची चोटियों पर पाकिस्तानी आतंकवादी छिपे हुए हैं. इस क्षेत्र में आतंकवादियों की तलाश में भारतीय सेना डोडा के जंगलों में हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल कर रही है. इसके बावजूद जम्मू-कश्मीर में डोडा जिले के एक वन क्षेत्र में चार घंटे के अंतराल में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच दो बार गोलीबारी हुई है. जिले के भट्टा इलाके में बुधवार की देर रात को पाकिस्तानी आतंकवादियों के बीच गोलीबारी हुई. इसके बाद अतिरिक्त बल ऑपरेशन स्थल पर पहुंचे हैं.
जम्मू रीजन में 78 दिन के भीतर 11 आतंकी हमलों में 11 जवानों की शहादत के लिए चार साल से एलओसी पर सीजफायर होने को बड़ी वजह माना जा रहा है, जिसकी वजह से सीमा पार इलाके से घुसपैठ बढ़ी है. दरअसल, पीर पंजाल पहाड़ियों के उत्तरी ओर कश्मीर घाटी में आतंकवाद का लगभग सफाया होने के बाद अब सीमा पार से घुसपैठ के लिए दक्षिणी इलाके को नया रास्ता बनाया गया है. जम्मू कश्मीर के दक्षिणी पीर पंजाल के इलाके डोडा, पुंछ और राजौरी, किश्तवाड़ रियासी, कठुआ के पहाड़ी इलाके में सुरक्षा बलों और नागरिकों पर आतंकी हमले हो रहे हैं.
आतंकवादी हमलों के बीच पिछले माह एक खुफिया रिपोर्ट में बताया गया था कि पुंछ-राजौरी सेक्टर में करीब 40 विदेशी आतंकवादी मौजूद हैं. अमरनाथ यात्रा शुरू होने के बाद से पाकिस्तानी आतंकी एक बार फिर सीमा लांघ रहे हैं. इस क्षेत्र में मौजूद विदेशी आतंकवादी छोटी-छोटी टीमों में काम कर रहे हैं, जिनमें से प्रत्येक में दो-तीन आतंकवादी हैं. आतंकवादियों की संख्या का आकलन खुफिया एजेंसियों और जमीन पर काम कर रहे बलों से मिले इनपुट पर किया गया है. इसे जम्मू क्षेत्र के राजौरी, पुंछ और कठुआ सेक्टरों में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने की कोशिश के रूप में माना जा रहा है. पीर पंजाल पर्वतमाला के दक्षिण में आतंकवाद-रोधी ग्रिड को और मजबूत करने की आवश्यकता जताई गई है.
हिन्दुस्थान समाचार