पाकिस्तान सरकार ने जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है. सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने सोमवार को यह घोषणा ऐसे समय में की है, जब कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने पीटीआई को राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं में आरक्षित सीटों के हिस्से के लिए योग्य घोषित कर दिया था.
तरार ने कहा कि सरकार ने सभी उपलब्ध सबूतों को देखने के बाद पीटीआई पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है. उन्होंने पिछले साल हिंसक विरोध प्रदर्शनों को उकसाने और वर्गीकृत जानकारी लीक करने सहित आरोपों का हवाला देते हुए कहा कि हम पार्टी पर प्रतिबंध लगाने के लिए मामला आगे बढ़ाएंगे. इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में लाया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार खान और पार्टी के दो अन्य वरिष्ठ नेताओं-पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आरिफ अल्वी और नेशनल असेंबली के पूर्व उपाध्यक्ष कासिम सूरी के खिलाफ देशद्रोह के आरोप लगाने के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ समीक्षा अपील दायर करने की योजना बना रही है.
उधर, पीटीआई के एक वरिष्ठ नेता और पार्टी प्रवक्ता सैयद जुल्फिकार बुखारी ने कहा कि यह महसूस करने के बाद कि वे अदालतों को धमका नहीं सकते हैं या उन्हें दबाव में नहीं डाल सकते हैं, या वे न्यायाधीशों को ब्लैकमेल नहीं कर सकते हैं, उन्होंने कैबिनेट के माध्यम से यह कदम उठाने का फैसला किया है. हमें रोकने के उनके सभी प्रयासों को अदालतों ने अवैध घोषित कर दिया है. पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने पीटीआई को एक राजनीतिक दल के रूप में मान्यता दी और पुष्टि की कि चुनाव चिह्न नहीं होने से उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के उसके कानूनी अधिकारों पर असर नहीं पड़ेगा.
यह फैसला पीटीआई को फरवरी में अपने पार्टी के चुनाव चिह्न क्रिकेट बैट का इस्तेमाल कर संसदीय चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने के संबंध में था, जिसने इसे अपने उम्मीदवारों को निर्दलीय के रूप में मैदान में उतारने के लिए मजबूर किया. हालांकि, तमाम झटकों के बावजूद पीटीआई समर्थित दावेदार 93 सीटों के साथ सबसे बड़े संसदीय ब्लॉक के रूप में उभरे.
इमरान खान ने जब अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के साथ हाथ मिलाने से इनकार कर दिया तो इसके बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएलएन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने गठबंधन सरकार बनाने के लिए अन्य छोटे दलों के साथ हाथ मिला लिया. खान अगस्त 2018 में प्रधानमंत्री बने, लेकिन अप्रैल, 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया. क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान को कई कानूनी संकटों का सामना करना पड़ा है, जिनमें 2022 में संयुक्त राज्य अमेरिका में पाकिस्तान के तत्कालीन राजदूत द्वारा इस्लामाबाद भेजे गए एक वर्गीकृत केबल की सामग्री को गलत तरीके से रखने और लीक करने के आरोप शामिल हैं.
खान ने बार-बार यह कहते हुए आरोपों से इनकार किया है कि दस्तावेज में सबूत हैं कि प्रधानमंत्री के रूप में उनका निष्कासन उनके राजनीतिक विरोधियों और देश की शक्तिशाली सेना द्वारा अमेरिकी प्रशासन की मदद से रची गई साजिश थी. हालांकि, वाशिंगटन और पाकिस्तानी सेना ने उनके आरोपों को खारिज कर दिया है. अपने पक्ष में हाल के कई अदालती फैसलों के बावजूद खान पिछले साल अगस्त से सलाखों के पीछे हैं.
सिंध के पूर्व गवर्नर जुबैर पहले पीएमएलएन के साथ थे, लेकिन अब उन्होंने आगे राजनीतिक अराजकता की चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार का फैसला पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के जवाब में था. उन्होंने बताया, “जो शक्तियां हैं, वे देश के मतदाताओं के सबसे बड़े बहुमत को वंचित करने की कोशिश कर रही हैं, जिन्होंने पीटीआई को वोट दिया था.
हिन्दुस्थान समाचार