शिमला: हिमाचल प्रदेश में मानसून की रफ्तार धीमी पड़ गयी है. एक हफ्ते से प्रदेश में कहीं भी भारी वर्षा नहीं हुई है. राजधानी शिमला में पिछले दो-तीन दिनों से धूप खिल रही है. मैदानी इलाकों में भी आसमान साफ रहने से तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
27 जून को प्रदेश में मानसून ने दस्तक दी थी. जिसके बाद तकरीबन 10 दिनों तक बारिश का दौर जारी रहा. लेकिन अब प्रदेश में मानसून की बारिश पर ब्रेक लग गया है. मौसम विभाग ने 11 से 13 जुलाई तक भी भारी वर्षा का अलर्ट जारी किया था, लेकिन अलर्ट बेअसर रहा और अधिकांश हिस्सों में धूप खिली रही. शिमला समेत अन्य जिलों में रविवार को भी मौसम शुष्क बना हुआ था.
मौसम विभाग ने हिमाचल में 16 से 20 जुलाई तक कहीं-कहीं मेघगर्जन और बज्रपात की आशंका जताते हुए येलो अलर्ट जारी किया है. इस दौरान राज्य में कुछ एक क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है. लेकिन भारी वर्षा को लेकर किसी तरह की चेतावनी नहीं दी गई है. विभाग का पूर्वानुमान सटीक रहा तो अगले छह दिन लोगों को मूसलाधार वर्षा का सामना नहीं करना पड़ेगा. पिछले साल मानसूनी वर्षा ने राज्य में भारी तबाही मचाई थी और उन ज़ख्मों से लोग अभी तक उबर नहीं पाए हैं.
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि राज्य में अभी तक मानसून की सामान्य से कम वर्षा हुई है. उन्होंने कहा कि अगले पांच-छह दिन राज्य में व्यापक वर्षा होने की संभावना नहीं है. बीते 24 घण्टों में भी राज्य में बहुत कम वर्षा हुई है. इस दौरान डल्हौजी में तीन, जोत में दो औऱ चम्बा में एक मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड हुई है.
मानसून सीजन में 65 घर क्षतिग्रस्त, 176 करोड़ का नुकसान
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार राज्य में मानसून की दस्तक से अब तक 16 दिनों में भूस्खलन, फ़्लैश फ्लड और बाढ़ की कोई घटना सामने नहीं आई है. हालांकि इस अवधि में हुई वर्षा के कारण 65 कच्चे-पक्के घर क्षतिग्रस्त हुए हैं. इनमें 11 घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए, जबकि 54 घरों को आंशिक तौर पर नुकसान पहुंचा है. इसके अलावा चार घर और 54 पशुशाला भी धराशायी हुए. मानसून सीजन में 176 करोड़ का नुकसान आंका गया है. इसमें सबसे ज्यादा 106 करोड़ का नुकसान लोकनिर्माण विभाग को पहुंचा है.
हिन्दुस्थान समाचार