शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के अब तक के 18 माह के कार्यकाल में कांग्रेस ने लगातार दूसरे उपचुनाव में भाजपा को पटखनी दी है. एक माह पहले कांग्रेस ने छह में से चार सीटों पर जीत दर्ज कर अपनी सरकार को मजबूत किया था. अब दूसरे उपचुनाव में भी कांग्रेस ने भाजपा को करारी शिकस्त दी है. भाजपा की जोरदार घेराबंदी के बावजूद मुख्यमंत्री सुक्खू अपनी पत्नी कमलेश को पहली बार विधानसभा पहुंचाने में कामयाब रहे. यह पहला मौका होगा कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पति-पत्नी की जोड़ी देखने को मिलेगी.
सुक्खू की अगुवाई में हुए उपचुनाव में नालागढ़ में भी कांग्रेस की वापसी हुई है. हालांकि सुक्खू अपने गृह जिला हमीरपुर में कांग्रेस को जीत नहीं दिला पाए. हमीरपुर में कांग्रेस 21 वर्षों से लगातार हार रही है. उपचुनाव के नतीजों से सुक्खू का कद और बढ़ गया है. सीएम की पत्नी को देहरा से टिकट मिलने पर कांग्रेस में बगावत देखी गई थी. पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी राजेश शर्मा ने सीएम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था लेकिन सीएम उन्हें मनाने में कामयाब रहे और अब देहरा सीट आसानी से कांग्रेस की झोली में आ गई है. इन उपचुनावों में प्रदेश कांग्रेस अपने राष्ट्रीय नेतृत्व के आसरे नहीं रही. उपचुनाव के स्टार प्रचारकों में केवल सीएम सुक्खू पर ही सारा दारोमदार था. कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे सहित अन्य बड़े नेता चुनाव प्रचार में नहीं आए. हालांकि सुक्खू के सारे मंत्री और अन्य कांग्रेस नेता प्रचार में सक्रिय थे, पर देहरा और हमीरपुर का प्रचार सीएम सुक्खू के जिम्मे ही था. दूसरी बार उपचुनाव में जीत से सुक्खू की कांग्रेस हाईकमान के सामने फिर धाक बन गई है. साथ ही उनकी सरकार पहले से ज्यादा मजबूत हो गई है.
देहरा के नतीजे बदलेंगे कांगड़ा की सियासी फिजा
देहरा उपचुनाव में मिली जीत से आने वाले समय में कांगड़ा की सियासी फिजा में नया देखने को मिल सकता है. मुख्यमंत्री सुक्खू अब हमीरपुर के साथ कांगड़ा के भी नेता शुमार हो गए हैं. वह चुनाव प्रचार में लगातार इस बात को भुनाते रहे कि कांगड़ा जिले में उनकी ससुराल है. 15 सीट वाला कांगड़ा जिला प्रदेश की सियासत में अहम योगदान रखता है. सुक्खू कैबिनेट में मंत्री का एक पद अभी रिक्त चल रहा है. कांगड़ा जिले से अभी दो ही मंत्री हैं. माना जा रहा है कि देहरा में मिली जीत के बाद कांगड़ा जिले को मंत्रिपद का तोहफा मिल सकता है. इस उप चुनाव में मतदाताओं ने दल-बदल की सियासत को पूरी तरह नकार दिया है. दरअसल तीनों पूर्व निर्दलीय विधायक अपनी विधायकी छोड़ भाजपा की टिकट पर चुनाव में उतरे थे लेकिन मतदाताओं ने इसे स्वीकार नहीं किया. उपचुनावों में सीएम सुक्खू ने भाजपा में शामिल हुए तीनों पूर्व निर्दलीय विधायकों को घेरने के लिए जबरदस्त रणनीति बनाई. उन्होंने उपचुनाव में धनबल बनाम जनबल को बड़ा मुद्दा बनाया. प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री पूर्व निर्दलीय विधायकों पर बिक जाने के आरोप लगाते रहे.
उपचुनाव में जीत से मजबूत हुई सुक्खू सरकार, बहुमत से पांच ज्यादा
सुक्खू सरकार विधानसभा उपचुनाव में जीत से मजबूत हो गई है. चुनावी नतीजों ने भाजपा के उस लक्ष्य को विफल कर दिया है, जिसे कांग्रेस आपरेशन लोटस कहती है. 68 सदस्यीय हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस का संख्या बल अब 40 पहुंच गया हैं वहीं भाजपा 28 पर रह गई है. सरकार बनाने के लिए 35 विधायक चाहिए और कांग्रेस के बहुमत से पांच विधायक ज्यादा हैं.
हमीरपुर में अनुराग ठाकुर का दिखा कमाल
हमीरपुर सीट पर कांटे के मुकाबले में जीत भाजपा को मिली. इस सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद अनुराग ठाकुर की मेहनत रंग लाई. ये जीत अनुराग ठाकुर के लिए संजीवनी का काम करेगी. दरअसल पिछले महीने हुए उपचुनाव में सुजानपुर सीट पर भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र राणा को मिली हार से पार्टी में बवाल मच गया था और अनुराग समर्थकों पर भीतरघात के आरोप लग रहे थे. इस बार भाजपा नेतृत्व ने अनुराग ठाकुर को हमीरपुर उपचुनाव का जिम्मा सौंपा था. इस सीट को जीतने के बाद अनुराग ठाकुर का पार्टी नेतृत्व के समक्ष कद बढ़ेगा. मुख्यमंत्री सुक्खू का गृह जिला होने के कारण कांग्रेस यहां जीत के प्रति आश्वस्त थी. कांग्रेस को आखिरी बार 2003 में इस सीट पर जीत मिली थी.
हिन्दुस्थान समाचार