भारत मां पर अपने प्राण और जीवन का सर्वोच्च बलिदान करने वाले हिमाचल के वीर बेटे राइफलमैन कुलभूषण मांटा को गैलेंट्री अवार्ड-2024 में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है. इस सम्मान समारोह का आयोजन शुक्रवार को दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में हुआ. यहां देश की राष्ट्रपति और भारतीय सेना की सर्वोच्च कमांडर महामहिम द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय सैन्य बल, अर्धसैनिक बल और पुलिस कर्मियों को कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र प्रदान किया. इस दौरान पीएम मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत अन्य गणमान्य लोग भी वहां मौजूद रहे.
हिमाचल प्रदेश में जिला शिमला के चौपाल उपमंडल के गौंठ गांव के रहने वाले बलिदानी कुलभूषण मांटा का शौर्य चक्र उनकी माता दुर्मा देवी व पत्नी नीतू कुमारी ने गर्व से ग्रहण किया. गौरतलब है कि साल 2022 में भारत माता की रक्षा करते हुए कुलभूषण मांटा ने अपने जीवन का बलिदान दिया था. इसी वर्ष अक्टूबर में नॉर्थ कश्मीर के जिला बारामूला में ऑपरेशन रक्षक में राइफलमैन कुलभूषण मांटा अपने साथियों के साथ तैनात थे. आतंकियों का सफाया करने के लिए कुलभूषण मांटा के नेतृत्व में तलाशी दल सतर्क था. इस बीच, कुलभूषण के नेतृत्व में टुकड़ी दो आतंकवादियों के नजदीक पहुंच गई.
भारतीय सेना के रूप में अपने काल को पास आते देख दोनों आतंकियों ने वहां से भागने का प्रयास किया. इस दौरान कुलभूषण मांटा ने एक आतंकी को पकड़ लिया. दूसरे आतंकी ने गोलीबारी शुरू कर दी. मुठभेड़ में राइफलमैन कुलभूषण मांटा घायल हो गए थे. तब भी मांटा ने बहादुरी के साथ ऑपरेशन को जारी रखा. एक आतंकी जिंदा पकड़ा गया. कुलभूषण ने अपनी आखिरी सांस तक सेना की शौर्य परंपरा को निभाया. जिस समय कुलभूषण ने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया, वे सिर्फ 27 साल के थे. कुलभूषण के बलिदान के समय उनका बेटा अढ़ाई महीने का था. कुलभूषण देश सेवा के लिए वर्ष 2014 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे. हिमाचल को अपने सपूत पर गर्व है.