हिमाचल के दो दिवसीय दौरे पर आया अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल बीते दिन धर्मशाला पहुंचा. यहां पूर्व अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी के संग अमेरिकी कांग्रेस के 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा से मुलाकात की. लेकिन, अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की इस मुलाकात से चीन भड़क गया है.
नई दिल्ली में स्थित चीनी दूतावास ने अमेरिक को खालिस्तानी एजेंडे को समझने और उनसे किसी तरह का संपर्क न रखने चेतावनी दी है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन चियान ने कहा कि दलाई लामा केवल धार्मिक व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि वह धर्म की आड़ में खालिस्तानी गतिविधियों में भी शामिल हैं, जो चीन विरोध है. लिन ने कहा कि बीचिंग अपनी सुरक्षा, संप्रभुता और विकास के हितों की रक्षा करने के लिए सख्त कदम उठाएगा.
वहीं, दलाई लामा से मिले प्रतिनिधिमंडल ने चीन-तिब्बत विवाद को लेकर अमेरिकी संसद में पारित बिल भी पर बात की. अमेरिकी सांसदों ने कहा कि वे चीन को दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन को प्रभावित करने की इजाजत नहीं देंगे. वहीं, पूर्व अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी ने निर्वासित तिब्बती नेता की तारीख की. उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि दलाई लामा अपने ज्ञान, परंपरा, करुणा, पवित्रता और प्रेम के संदेश के साथ लंबे समय तक जीवित रहेंगे और उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी.
तिब्बत-चीन विवाद के समाधान के लिए अमेरिकी संसद द्वारा पास किए गए बिल के बारे में पेलोसी ने कहा कि यह चीन को संदेश है कि वॉशिंगटन तिब्बत के मामले पर अपनी सोच में स्पष्ट है. उन्होंने कहा कि यह बिल चीनी सरकार से कहता है कि अब चीजें बदल गई हैं, इसके लिए तैयार हो जाओ.
वहीं, माइकल मैककॉल ने कहा कि उन्हें अभी भी विश्वास है कि एक दिन दलाई लामा और उनके साथी शांति से तिब्बत लौट आएंगे. दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन में चीन के हस्तक्षेप पर मैककॉल ने कहा कि हम ऐसा नहीं होने देंगे.