शिमला: राजधानी शिमला में प्रचंड गर्मी और लंबे समय से बादलों के न बरसने से जलसंकट पैदा हो गया है. शहर वासियों को हफ्ते में एक बार पानी की आपूर्ति हो रही है. कई वार्डों में चौथे व पांचवें दिन कुछ समय के लिए ही पानी छोड़ा जा रहा है. जलसंकट को देखते हुए नगर निगम प्रशासन टैंकरों से पानी की आपूर्ति कर रहा है. टैंकरों से पानी भरने के लिए लोगों की लाइनें लग रही हैं.
शिमला शहर में यूं तो हर साल गर्मियों में पानी की किल्लत खड़ी हो जाती है. लेकिन इस बार छह साल पहले की तरह जलसंकट के हालात बने हैं. वर्ष 2018 के मई महीने में जलसंकट से यहां स्थिति विकराल हुई थी और पानी के लिए लोगों को तरसना पड़ा था.
इस बार समर सीजन में पेयजल स्त्रोतों के सूखने से शिमला में जल संकट की स्थिति खड़ी हुई है. दरअसल शहर को पानी की आपूर्ति करने वाली परियोजनाओं में बहुत कम पानी रह गया है. शहर को रोजाना करीब 45 एमएलडी पानी की जरूरत रहती है. जबकि इन परियोजनाओं से महज 20 से 25 एमएलडी पानी मिल रहा है.
शिमला शहर से सटे ग्रामीण इलाकों में भी पानी को लेकर हाहाकार मचा है. कई जगह 10 दिन से पानी नहीं आ रहा है और लोगों को नहाने व शौचालय जाने तक के लिए पानी नसीब नहीं हो रहा है. पीक पर चल रहे टूरिस्ट सीजन के बीच होटलों में भी पानी की किल्लत खड़ी हो गई है. होटलों में पानी के टैंकरों की डिमांड बढ़ गई है. हालात यह है कि लोगों को पीने के लिए भी दुकानों से पानी खरीदना पड रहा है. इसके अलावा शहर के अलग अलग क्षेत्रों में पानी की बावड़ियां पर लोगों की भीड़ जमा होना शुरू हो गई है.
शहर में पानी का जिम्मा संभालने वाली कम्पनी जल प्रबंधन निगम शहरवासियों को पानी की बचत करने की सलाह दे रही है. कम्पनी द्वारा शहर में तीन दिन बाद पानी की आपूर्ति का दावा किया जा रही है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है. पेयजल कम्पनी के मुताबिक शहर की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना गिरी से पानी का स्तर घटने से पानी की दिक्कत आ रही है. गिरी पेयजल परियोजना से शहर के लिए पानी की आपूर्ति 16 एमएलडी से घटकर 8 से 10 एमएलडी रह गई है. सभी पेयजल परियोजनाओं से शहर को औसतन 25 एमएलडी पानी आ रहा है, जो सामान्य से 20 एमएलडी कम है.
शिमला के मेयर सुरेंद्र चौहान ने बताया कि शिमला में पानी की समस्या चल रही है और लोगों को तीसरे व चौथे दिन पानी दिया जा रहा है. पिछले कुछ दिनों से पड़ रही भयंकर गर्मी के कारण जल परियोजनाओं में पानी का स्तर कम हो गया है. उनके मुताबिक अगले साल तक सतलुज से शिमला में पानी आ जायेगा तो पानी की समस्या काफ़ी हद तक कम हों जायेगी. इसके आलावा शिमला के शौचालय में भी पीने का ही पानी उपयोग में लाया जाता है. इस पर भी निगम अलग से पाइप बिछाने की योजना बना रहा है. शिमला में टैंकरों से भी पानी की सप्लाई की जा रही है. उम्मीद है कि जल्द बारिश होगी और पानी के संकट से निजात मिलेगी.
उधर राज्य के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री का कहना है कि प्रदेश में जलशक्ति विभाग की 10067 स्कीमें है जिनमें से 1767 स्कीमों में पानी का स्तर गिरा है. उन्होंने कहा कि पानी की नियमित बहाली सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है. टैंकर के माध्यम से भी लोगों को पानी मुहैया करवाया जा रहा है.
हिन्दुस्थान समाचार