डॉ. राजेंद्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय टांडा (टीएमएसी) में एक बार फिर रैगिंग का मामला सामने आया है. टांडा मेडिकल कॉलेज में नौ महीनों के बाद रैगिंग का यह दूसरा मामला सामने आया है. टीएमसी में हुई रैगिंग का मामला बेशक एक सप्ताह पूर्व का है लेकिन कॉलेज प्रशासन ने इस मामले में चार सीनियर प्रशिक्षु डाक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है.
जानकारी के मुताबिक चार सीनियर प्रशिक्षु डॉक्टरों ने जूनियर की रैगिंग की है. रैगिंग के दौरान जूनियर डाक्टरों से मारपीट की गई और उनके कपड़े भी फाड़ डाले. शिकायत के अनुसार रैगिंग व मारपीट की यह घटना बुधवार पांच जून की देर शाम करीब 6-7 बजे के बीच में हुई थी. इस दौरान एमबीबीएस बैच 2020 के कुछ प्रशिक्षु डाक्टरों को सीनियरों ने ब्वायज होस्टल के कमरा नंबर 108 में बुलाया. शिकायत के अनुसार इन सीनियर डॉक्टरों ने नौ जूनियर प्रशिक्षु डाक्टरों को गालियां दीं, मारपीट की और उनके कपड़े फाड़ डाले.
इसके बाद पीड़ित छात्रों ने इस घटना की नेशनल मेडीकल कमीशन में इसकी शिकायत कई. मामले की पुष्टि टीएमसी के एमएस डॉ. मिलाप ने की है. वहीं टांडा मेडीकल कॉलेज की एंटी रैगिंग कमेटी ने जांच में 2019 और 2022 बैच के चार सीनियर प्रशिक्षु डाक्टरों को दोषी पाया जिनमें दो प्रशिक्षु डाक्टरों को एक-एक लाख रुपए जुर्माना और एक साल के लिए कक्षाओं तथा होस्टल से निष्कासित कर दिया है. अन्य दो आरोपियों को 50-50 हजार रुपए जुर्माने के साथ छह महीनों के लिए होस्टल तथा कक्षाओं से किया निष्कासित कर दिया है.
कमेटी ने दोषी सीनियर प्रशिक्षु डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें जुर्माना राशि को सात दिन के भीतर जमा करवाने के भी सख्त आदेश जारी कर दिए हैं. इन चार प्रशिक्षु डॉक्टरों में 2019 बैच के अरुण सूद और सिद्धान्त यादव जबकि 2022 बैच के राघवेंद्र भारद्वाज और भवानी शंकर शामिल हैं.
वहीं टीएमसी के एमएस डॉ मिलाप ने बताया कि दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. भविष्य में इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए कॉलेज प्रशासन और एन्टी रैंगिंग कमेटी पूरी तरह सजग है. उन्होंने इस तरह की घटना हिने पर उसकी तुरंत जानकारी प्रशासन व एन्टी रैगिंग कमेटी को देने का आह्वान किया है. ताकि ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके.
गौरतलब है कि सितंबर 2023 में भी इसी तरह का मामला सामने आया था जिसमे भी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की थी. वहीं, इसी कालेज में साल 2009 में हुई रैगिंग के एक मामले में प्रशिक्षु डॉक्टर अमन काचरू की जान भी चली गई थी.
हिन्दुस्थान समाचार