शिमला: हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ छह सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव के नतीजे दिलचस्प रहे. भाजपा ने सूबे की चारों लोकसभा सीटों पर एकतरफा जीत हासिल करते हुए लगातार तीसरी बार क्लीन स्वीप किया. लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि राज्य की छह सीटों पर हुए विस उपचुनाव में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. भाजपा दो सीटें ही अपने नाम कर पाई जबकि कांग्रेस को चार सीटों पर जीत मिली.
हमीरपुर लोकसभा सीट पर भाजपा के कद्दावर नेता अनुराग ठाकुर 1.82 लाख के रिकार्ड मतों से लगातार पांचवीं बार विजयी रहे. उनके दबदबे वाले इस संसदीय क्षेत्र की चार में से तीन विधानसभा उपचुनाव की सीटें भाजपा हार गई. खास बात यह रही कि अनुराग ठाकुर के अपने विधानसभा हल्के सुजानपुर से भी भाजपा प्रत्याशी को हार मिली. हमीरपुर जिला की बड़सर सीट पर ही भाजपा जीत दर्ज कर सकी.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक सुजानपुर विस हल्के से अनुराग ठाकुर को लगभग 23 हज़ार की बढ़त मिली. यह अनुराग ठाकुर का गृह विस हल्का है. इसी सीट पर हुए विस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी राजेन्द्र राणा करीब 2440 मतों से हार गए. इसी तरह गगरेट हल्के में अनुराग ठाकुर को कांग्रेस प्रत्याशी से करीब 11 हज़ार ज्यादा वोट पड़े. लेकिन इसी हल्के के विस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी चैतन्य शर्मा को 8487 मतों से हार मिली. ऐसा ही कुटलैहड़ विस हल्के में देखने को मिला, जहां अनुराग ठाकुर 8 हज़ार मतों की बढ़त ले गए, लेकिन उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र भुट्टो यह सीट 5356 मतों से हार गए.
विस उपचुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के पूर्व विधायकों पर खेला था दांव
छह सीटों पर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के छह पूर्व विधायकों को प्रत्याशी बनाया था. दरअसल इसी साल फरवरी महीने में हिमाचल की एक राज्यसभा सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस के छह विधायकों सुधीर शर्मा, इंद्रदत्त लखनपाल, देवेंद्र भुट्टो, चैतन्य शर्मा, रवि ठाकुर और राजेंद्र राणा ने क्रॉस वोटिंग कर भाजपा प्रत्याशी को जीत दिलाई थी. इसके अगले दिन इन्होंने कांग्रेस के व्हिप का उल्लंघन किया और बजट पारण के दौरान विधानसभा से नदारद रहे. इस पर स्पीकर ने इन्हें अयोग्य ठहराया और इनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी. इस सियासी घटनाक्रम के बाद कांग्रेस के सभी छह पूर्व विधायक भाजपा में शामिल हुए और इन्हें उपचुनाव में पार्टी की टिकट मिल गई.
सुधीर शर्मा और इंद्रदत्त लखनपाल ही दोबारा बन पाए विधायक
कांग्रेस के पूर्व विधायकों में सुधीर शर्मा और इंद्रदत्त लखनपाल ही भाजपा की टिकट पर उपचुनाव जीत कर दोबारा विधायक बनने में कामयाब रहे. जबकि चार पूर्व विधायकों को वोटरों ने घर बिठा दिया. दिलचस्प बात यह रही कि लाहौल-स्पीति सीट पर भाजपा प्रत्याशी रवि ठाकुर अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए.
सुधीर शर्मा धर्मशाला से 5526 मतों और इंद्रदत्त लखनपाल 2125 मतों से विजयी रहे. सुधीर शर्मा कांग्रेस की पूर्व वीरभद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. वह चार बार विधायक बने हैं. इसी तरह इंद्रदत्त लखनपाल भी लगातार चौथी मर्तबा विधायक चुने गए हैं.
38 विधायकों के साथ सुक्खू सरकार हुई मजबूत
छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस की सुक्खू सरकार पर बहुमत का खतरा मंडरा रहा था. लेकिन छह में से चार सीटें जीतकर सुक्खू सरकार मजबूत हो गई है. मौजूदा समय में 65 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 38 विधायक हो गए हैं, जबकि भाजपा विधायकों की संख्या 27 है. तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे की वजह से आगामी महीनों में तीन विधानसभा सीटों हमीरपुर, नालागढ़ और देहरा में भी विस उपचुनाव होंगे.
लोस चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे और विस उपचुनाव में स्थानीय मुद्दे रहे हावी
इस बार दोनों चुनावों में मतदाताओं ने सोच समझकर वोट डाला. लोस चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों खासतौर पर मोदी के चेहरे पर वोट पड़े तो विस उपचुनाव में वोटरों ने स्थानीय मुद्दों व सत्तारूढ़ सुक्खू सरकार के 16 माह के कार्यों के साथ प्रत्याशियों की पृष्ठभूमि को भी ध्यान में रखा.
राज्य की जिन छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, उनमें सुजानपुर, बड़सर, धर्मशाला, गगरेट, कुटलैहड़ और लाहौल-स्पीति शामिल रहे. इनमें भाजपा को धर्मशाला और बड़सर में तो जीत मिली, जबकि अन्य चार सीटों पर कांग्रेस ने परचम लहराया. यह भी माना जा रहा है कि चुनाव प्रचार के दौरान उपचुनाव वाली सीटों पर एक वोट पीएम और एक वोट सीएम के नारे की गूंज सुनाई दी थी और नतीजे घोषित होने के बाद यह नारा फलीभूत होता नजर आया.
हिन्दुस्थान समाचार