शिमला: हिमाचल प्रदेश में 2024 में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़े बेहद दिलचस्प हैं. चुनाव मैदान में उतरे 72 प्रतिशत उम्मीदवार नोटा (नन ऑफ द एबव) से पराजित हो गए हैं. चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी जंग रही और चारों सीटों पर भाजपा ने लगातार तीसरी बार क्लीन स्वीप किया. लोस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को छोड़कर अन्य कोई उम्मीदवार जमानत नहीं बचा पाया.
चुनाव आयोग की ओर से उपलब्ध अंतिम आंकड़ों के मुताबिक राज्य की चारों सीटों पर कुल 37 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई और इनमें 29 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. इस तरह 78 प्रतिशत उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में नाकाम रहे. कुल 37 उम्मीदवारों में से 27 को नोटा की तुलना में कम वोट मिले हैं. राज्य में कुल 23125 लोगों ने नोटा का बटन दबाया. कांगड़ा लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा और हमीरपुर सीट पर सबसे कम लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया. दो सीटों पर बीएसपी के उम्मीदवार नोटा से ज्यादा वोट लेने में कामयाब रहे.
कांगड़ा लोकसभा सीट पर 6372 लोगों ने नोटा का विकल्प चुना. इस सीट पर किस्मत आजमा रहे 10 उम्मीदवारों में से सात उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट पड़े. सबसे कम 545 मत निर्दलीय उम्मीदवार 545 को मिले. भाजपा के राजीव भारद्वाज ने यह सीट अपने निकटतम प्रतिद्वन्दी कांग्रेस के आनंद शर्मा से 2.82 लाख के अंतर से जीती.
मंडी लोकसभा सीट पर भी 10 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा और इनमें से 8 उम्मीदवारों को नोटा से कम वोट पड़े. इस सीट पर 5645 लोगों ने नोटा दबाया. निर्दलीय उम्मीदवार आशुतोष को सबसे कम 286 मत पड़े. भाजपा उम्मीदवार कंगना रनौत यहां से 74 हज़ार मतों से विजयी रही. उन्होंने कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह को हराया.
हमीरपुर लोस सीट पर 5178 लोगों ने नोटा को चुना. इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस को छोड़कर अन्य कोई भी उम्मीदवार नोटा से ज्यादा वोट नहीं ले पाया. यहां 12 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा और 10 उम्मीदवारों को नोटा से कम वोट पड़े. निर्दलीय उम्मीदवार गोपी चंद को सबसे कम 202 वोट मिले. भाजपा के दिग्गज नेता अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस के सतपाल रायजादा को 1.84 लाख से हराकर लगातार पांचवीं जीत हासिल की.
शिमला लोकसभा सीट पर 5930 लोगों ने नोटा का विकल्प चुना. इस सीट पर पांच उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा और दो उम्मीदवारों को नोटा से कम वोट मिले. अखिल भारतीय परिवार पार्टी के मदन लाल को सबसे कम 4686 वोट पड़े. भाजपा के सुरेश कश्यप ने दूसरी बार यह सीट अपने नाम की. उन्होंने कांग्रेस के विनोद सुल्तानपुरी को 91 हजार मतों से मात दी.
हिमाचल में 40.55 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया. इनमें से 23125 मतदाताओं ने किसी भी उम्मीदवार को वोट देने की बजाय नोटा का बटन दबाना पसंद किया. हालांकि, यह संख्या पिछले लोकसभा चुनाव से कम है. 2019 के लोकसभा चुनाव में 33 हज़ार लोगों ने नोटा का विकल्प चुना था.
हिन्दुस्थान समाचार