नई दिल्ली: 77वें कान फिल्म फेस्टिवल में भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के स्टूडेंट चिदानंद एस नाइक को बड़ी सफलता हाथ लगी है. नाइक की 16 मिनट की शार्ट फिक्शन फिल्म ‘सनफ्लावर्स वर द फर्स्ट वन टू नो’ का मंगलवार को कान 2024 में प्रीमियर हुआ. वहीं अब खबरें हैं कि चिदानंद एस नाइक की “सनफ्लावर वेयर द फर्स्ट वन्स टू नो…” ने कान ला सिनेफ का प्रथम पुरस्कार अपने नाम किया है. इसके अलावा ला सिनेफ प्रतियोगिता का तीसरा अवॉर्ड मेरठ की मानसी माहेश्वरी की एनीमेशन फिल्म ‘बन्नीहुड’ ने जीता है.
इस शार्ट फिक्शन फिल्म की कहानी एक कन्नड़ लोक कथा पर आधारित है. फिल्म में एक बुजुर्ग महिला के मुर्गे की चोरी से उसका गाँव हमेशा के लिए अंधेरे में डूब जाता है. पुरस्कार की घोषणा गरुवार को हुई है. निर्णायक मंडल में कुल 5 सदस्य हैं और इसकी अध्यक्षता बेल्जियम की अभिनेत्री लुबना अजाबल ने की.
बता दें कि नाइक ने एमबीबीएस में डिग्री हासिल की है. साथ ही कुछ समय तक चिकित्सा का अभ्यास भी किया है, लेकिन इसके बाद उन्होंने फिल्म निर्माण की ओर अपना रुख बदल लिया था. नाइक यह फिल्म पुणे के भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के टेलीविजन विंग में अपने एक साल के कौर्स के दौरान बनाई थी. उन्हेंने बताया कि ”जब मैंने यह कदम उठाया तो मेरे माता-पिता मुझसे बहुत नाराज थे. लेकिन अब पांच साल बाद मैं उनके समर्थन से यहां हूं.”
मैसूर के डॉक्टर से फिल्म निर्माता बने नाइक ने इस फिल्म की शुटिंग पुणे में की थी. उन्होंने बंजारा साहित्य पर अपने शोध से एक 12 मिनट की डाक्यूमेंटरी बनाई थी जिसे पिछले साल अंतरराष्ट्रीय डाक्यूमेंटरी और शार्ट फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया था. फिल्म का नाम ‘भूल चूक टूल्स’ था.
कान फिल्म फेस्टिवल के ला सिनेफ में पुरस्कार जीतने वाले प्रथम विजेता को 15,000 यूरो, धावक को 11,250 यूरो और तीसरे को 7,500 यूरो दिए जाते हैं.