दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जब से लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए जेल से बाहर आए हैं, तब से ही इनकी जमानत पर ही सवाल उठने लगे हैं. हालांकि यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय का है, इसलिए कोई भी सीधा सवाल करने से बच रहा है. लेकिन वातावरण में जितने मुंह उतनी बातें तैर रही हैं. खैर… जमानत मिलने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल अपने आपको राजनीति में सर्वोच्च समझने की भूल करते हुए दिखाई दे रहे हैं.
इसके विपरीत सच यह है कि देश का कोई भी नेता सर्वशक्तिमान नहीं है, क्योंकि लोकतंत्र में शक्ति नेता के हाथ में नहीं, बल्कि जनता के हाथ में होती है. यही लोकतंत्र है. आज की बेलगाम होती राजनीति के बीच ऐसा लगता है कि आम आदमी पार्टी के नेता निरंकुश होते जा रहे हैं. लगातार बढ़ती जा रही घात-प्रतिघात के राजनीतिक दौर में यूं तो हर राजनीतिक दल अपने आपको ज्यादा नंबर देने की जुगत भिड़ा रहे हैं, लेकिन अपने आपको आम आदमी पार्टी के मुखिया के रूप में प्रचारित करने वाले अरविन्द केजरीवाल अपने सधे हुए कदमों को विचलित कर रहे हैं.
हम यह भली भांति जानते हैं कि आम आदमी पार्टी को पहले दिल्ली और कुछ दिन पूर्व पंजाब में छप्पर फाड़ कर समर्थन मिला. जिसके कारण आज इन दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी की सरकार है. लेकिन सरकार बनने से यह कतई अधिकार नहीं मिलता कि जो भी करें उसको सब ठीक मानें. ऐसा लगता है कि आज आम आदमी पार्टी के नेताओं में गलत को गलत कहने का नैतिक साहस नहीं है. शराब घोटाले के आरोप पर कोई भी नेता बोलने को तैयार नहीं है, इस कारण भी इस पर बहुत बड़े सवालिया निशान भी अंकित होते जा रहे हैं.
अभी हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री के आवास में जो घटनाक्रम हुआ, उसकी परिणति क्या होगी, यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा, लेकिन जो कुछ भी संकेत मिल रहे हैं, वे यही साबित कर रहे हैं कि राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल की पिटाई के मामले को दबाने का खेल भी प्रारम्भ हो गया है. साथ ही स्वाति मालीवाल पिटाई मामले में परदे के पीछे से कई अनसुलझे सवाल भी उठने लगे हैं. स्वाभाविक रूप से इन सभी सवालों का आम आदमी पार्टी की ओर से जवाब आना चाहिए, लेकिन उनकी ओर से जवाब देना तो दूर उलटे लीपापोती के प्रयास होने लगे हैं.
हर बात पर जवाब प्रस्तुत करने वाले संजय सिंह की भी इस मामले में बोलती बंद है. अब आम आदमी पार्टी की महिला नेता आतिशी ने पत्रकार वार्ता करके इस पूरे मामले को स्वाति मालीवाल की ओर ही मोड़ने का प्रयास किया है. इस दौरान स्वाति मालीवाल के गुस्से वाले कुछ वीडियो भी दिखाए गए, लेकिन आतिशी ने यह नहीं बताया कि वे कौन से कारण हैं, जिसके कारण स्वाति मालीवाल गुस्से में थीं. कहा तो यह भी जा रहा है कि इसमें संजय सिंह भी आरोपित हैं, लेकिन यह कहां तक सच है, यह तो स्वाति मालीवाल और संजय सिंह ही जानते होंगे. आतिशी के बयानों के बाद ऐसा लग रहा है कि स्वाति के मामले में खुद स्वाति ही दोषी हैं. इसके साथ ही आतिशी ने मामले को भाजपा की साजिश भी बताने का प्रयास किया.
वास्तविकता यही है कि यह इनके अंदर की एक ऐसी राजनीतिक लड़ाई है, जिससे आम आदमी पार्टी लम्बे समय से जूझ रही है. इस लड़ाई में आम आदमी पार्टी के नेता भले ही भाजपा पर आरोप लगाकर पल्ला झाड़ लें, लेकिन कहावत है कि धुआं उठा है तो आग तो कहीं न कहीं लगी ही होगी. ऐसे में यह कहना भी मुनासिब होगा कि आरोप लगाने से पूर्व आम आदमी पार्टी के नेताओं को भी अपने गिरेबान में झांकना होगा. यह इसलिए भी कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी के ऐसे कई नेता आज पार्टी से दूर हैं, जिन्होंने पार्टी को स्थापित करने में जी-तोड़ परिश्रम किया है.
स्वाति मालीवाल भी उनमें से एक हैं. उनके इसी परिश्रम के कारण ही उन्हें राज्य महिला आयोग का चेयरमैन बनाया. इसलिए आम आदमी पार्टी की ओर से यह सफाई देना कि स्वाति का कहना एक झूठ है, मामले को और पेचीदा बना रहा है. दिल्ली की राजनीति और आम आदमी पार्टी के लिए स्वाति मालीवाल कोई छोटा नाम नहीं है. वह भी अरविन्द केजरीवाल की तरह ही अन्ना आंदोलन की ही उपज हैं. इसके अलावा वह केजरीवाल की पारिवारिक सदस्य यानी उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल की बहन हैं. हालांकि अन्ना आंदोलन से राजनीति का प्रारम्भ करने वाले कई बड़े नेताओं को आज आम आदमी पार्टी से बहुत दूर कर दिया है.
सबको साथ लेकर चलने का दावा करने वाले अरविन्द केजरीवाल से उनके यह साथी क्यों दूर हुए, यह मामला भी पेचीदा प्रश्न उपस्थित करने वाला है. कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि इसमें केजरीवाल के संकेत पर कार्य करने वाली चौकड़ी का पूरा हाथ है. ऐसा लगता है कि केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार के हाथ में सारी शक्ति है. स्वाति मालीवाल से गलत व्यवहार करने का आरोप निजी सचिव कुमार पर है. हम जानते हैं कि जब कुमार विश्वास को आम आदमी पार्टी से अलग किया गया, तब इसी बिभव कुमार की सक्रियता दिखाई दी. यह बात स्वयं कुमार विश्वास ने सार्वजनिक तौर पर व्यक्त की.
स्वाति मालीवाल ने यह आरोप भी लगाया है कि पिटाई के मामले में आरोपितों को बचाने का षड़यंत्र किया जा रहा है. जब स्वाति मालीवाल ऐसा कह रही हैं तो उनकी बात पर आम आदमी पार्टी के नेता विचार क्यों नहीं कर रहे. दूसरी तरफ स्वाति एक महिला हैं और जिन पर आरोप लगाया जा रहा है वे पुरुष हैं. अगर स्वाति की बातों पर विश्वास किया जाए तो यही कहा जाएगा कि आम आदमी पार्टी में महिला की कोई इज्जत नहीं है. अब इस मामले में कई अनसुलझे सवाल भी उठ रहे हैं, जिनके जवाब सामने आने चाहिए.
सुरेश हिंदुस्तानी
हिन्दुस्थान समाचार