शिमला: हिमाचल प्रदेश के तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे पर दायर याचिका की हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश एमएस राम चंद्र राव और ज्योत्सना रिवालदुआ की खंडपीठ के समक्ष दोनों पक्षों की तरफ से दलीलें दी गई. विधानसभा स्पीकर की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और निर्दलीय विधायकों की तरफ़ से वरिष्ठ अधिवक्ता मनेंद्र सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोर्ट में पैरवी की. दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
निर्दलीय विधायकों के वकील ने कहा कि इस्तीफे को तुरंत स्वीकार किया जाना चाहिए था जबकि विधानसभा स्पीकर के अधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि इस्तीफे को स्वीकार करने से पहले विधानसभा स्पीकर जांच का अधिकार रखते हैं और उसके बाद इस्तीफे पर निर्णय लेंगे.
बता दें कि प्रदेश के तीन निर्दलीय विधायकों हमीरपुर से आशीष शर्मा, नालागढ़ से केएल ठाकुर और देहरा से होशियार सिंह ने इस्तीफे मंजूर न करने और उन्हें स्पीकर द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी करने के खिलाफ याचिका दायर की है. हाईकोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान निर्दलीय विधायकों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में उन्होंने खुद जाकर स्पीकर के समक्ष इस्तीफे दिए, राज्यपाल को इस्तीफे की प्रतिलिपियां सौंपी, विधानसभा के बाहर इस्तीफे मंजूर न करने को लेकर धरने दिए और हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया तो उन पर दबाव में आकर इस्तीफे देने का प्रश्न उठाना किसी भी तरह से तार्किक नहीं लगता और इसलिए इससे बढ़कर उनकी स्वतंत्र इच्छा से बड़ा क्या सबूत हो सकता है.
निर्दलीय विधायकों की ओर से उन्हें स्पीकर द्वारा जारी किए कारण बताओ नोटिस का हवाला देते हुए कहा गया कि स्पीकर ने भी उनके इस्तीफे की बात स्वीकार की है. फिर भी उनके इस्तीफे मंजूर नहीं किए जा रहे हैं. प्रार्थियों का कहना है कि उनके इस्तीफे मंजूर न करने की दुर्भावना स्पीकर के जवाब से जाहिर है जिसके तहत उन पर दबाव में आकर राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट डालने के गलत आरोप लगाए गए हैं. प्रार्थियों का कहना था कि यदि स्पीकर अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए उनके इस्तीफे मंजूर नहीं करता तो हाईकोर्ट के पास यह शक्तियां हैं कि वह जरूरी आदेश पारित कर उनके इस्तीफों को मंजूरी दे.
दरअसल, देहरा से तीनों निर्दलीय विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से 22 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष तथा सचिव को अपने इस्तीफे सौंपे थे. इस्तीफों की एक-एक प्रति राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को भी दी थी. राज्यपाल ने भी इस्तीफों की प्रतियां विधानसभा अध्यक्ष को भेज दी थीं. प्रार्थियों का आरोप है कि विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इन्हें मंजूरी नहीं दी और इस्तीफे के कारण बताने के लिए 10 अप्रैल तक स्पष्टीकरण देने को कहा. इन विधायकों ने कारण बताओ नोटिस को खारिज कर इस्तीफे मंजूर करने की गुहार लगाई है. निर्दलीय विधायकों का कहना है कि जब उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को व्यक्तिगत तौर पर मिलकर इस्तीफे दिए गए तो उनके इस्तीफे मंजूर करने की बजाय उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करना असवैंधानिक है.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार