शिमला: कांग्रेस नेता व सुक्खू सरकार में बागवानी एवं राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा है कि प्रदेश के तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा के दवाब की वजह से विधानसभा अध्यक्ष को अपना त्यागपत्र दिया है. उनका त्यागपत्र अभी भी विधानसभा अध्यक्ष के पास लंबित है. विधानसभा अध्यक्ष के पास इसे स्वीकार या अस्वीकार करने का भी पूरा अधिकार है.
जगत सिंह नेगी ने गुरूवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि उन्होंने इस मामले को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष याचिका दायर की है कि निर्दलीय विधायक किसी भी अन्य दल में शामिल नहीं हो सकते इसलिए इन्हें भी अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि निर्दलीय विधायकों को जिस प्रकार से केंद्र की भाजपा सरकार ने सुरक्षा दे रखी थी उससे भी साफ है कि उन पर कोई दबाव है. उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में यह पहला मामला है जहां निर्दलीय विधायको ने त्यागपत्र दिया हो और अपने त्यागपत्र स्वीकार करवाने के लिये उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा रहें हो. उन्होंने कहा कि चूंकि अभी इन निर्दलीय विधायको पर विधानसभा अध्यक्ष का फैसला आना बाकी है, इसी बीच इन तीन विधायकों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है.
जगत सिंह नेगी ने कहा कि इस बीच शिमला शहरी के विधायक हरीश जनारथा ने बताया कि उन्होंने प्रदेश उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है जिसमें उन्होंने इन निर्दलीय विधायकों की याचिका पर कोई फैसला देने से पूर्व उन्हें भी सुना जाए. उन्होंने कहा कि इन निर्दलीय विधायकों ने जिस दबाव में अपना त्यागपत्र दिया है वह इसकी जानकारी पूरे तथ्यों के साथ न्यायालय के समक्ष पेश होकर रखना चाहते है.
जनारथा ने आरोप जड़ा कि भाजपा ने एक सोची समझी रणनीति के तहत प्रदेश की कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने प्रदेश में जनमत का अपमान करते हुए लोकतंत्र की हत्या करने की जो कोशिश की है वह बहुत ही निंदनीय है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस इन चुनावों में भाजपा के षड्यंत्र का पूरा खुलासा करेगी.
सभार- हिन्दुस्थान समाचार