Mandi Lok Sabha Seat: हिमाचल प्रदेश के मंडी सांसदीय क्षेत्र की लोकसभा सीट आज देश की हॉट सीट में से एक है. इन दिनों यह सीट जनता के बीच सबसे अधिक चर्चा का विषय बनी हुई है. इस सीट पर हमेशा से ही भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर रही है. हालांकि इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. कांग्रस पार्टी को इस सीट पर 11 बार जीत मिली है और भाजपा ने 5 बार अपनी जीत दर्ज करवाई है. जबकि 1 बार इस सीट पर बीएलडी ने कब्जा जमाया है. मंडी सीट से वीरभद्र सिंह की फैमिली में 6 बार जीत हासिल की है. कांग्रेस की ओर से सुखराम ने भी 3 बार जीत दर्ज की है.
किस पार्टी से कौन उम्मीदवार
हिमाचल में आगामी लोकसभा चुनाव 1 जून 2024 को आखरी फेस में होने हैं. जिसको लेकर मंडी सांसदीय क्षेत्र से भाजपा ने बॉलिवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को चुनावी मैदान में उतारा है और कांग्रेस पर्टी की ओर से लोक निमार्ण मंत्री विक्रमादित्य सिंह को उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा का टिकट दिया गया है. इन दिनों लोकसभा चुनावों को लेकर दोनों प्रत्याक्षियों के बीच जुबानी जंग भी छिड़ी हुई है. दोनों एक-दूसरे पर जमकर हमलावार हैं. विक्रमादित्य सिंह 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह और मंडी से वर्तमान सांसद प्रतिभा सिंह के बेटे हैं.
मंडी में रहा है कांग्रेस का दबदबा
अब तक मंडी लोकसभा सीट पर 17 बार चुनाव हुए हैं. जिसमें से 3 बार उपचुनाव हुए हैं और तीनों उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. इस सीट पर कांग्रेस को 11 बार चुनावों में जीत मिली है. जबकि बीजेपी ने सिर्फ 5 बार जीत हासिल की है. एक बार जनता पार्टी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है. शुरुआती लोकसभा चुनावों में मंडी सीट पर राज परिवारों का दबदबा था. इस सीट पर वीरभद्र सिंह फैमिली को 6 बार जीत मिली है. तीन बार वीरभद्र सिंह खुद सांसद चुने गए और तीन बार उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह विजयी रही हैं.
2019 आम चुनाव में बीजेपी को जीत
साल 2019 के आम चुनाव में भाजपा की ओर से राम स्वरूप शर्मा ने 68.75 प्रतिशत वोटों से चुनाव में जीत दर्ज की थी और कांग्रेस उम्मीदवार आश्रय शर्मा को 25.68 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. इस चुनाव में बीएसपी और सीपीएम ने भी अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, परंतु दोनों को 15 हजार से कम वोट मिले थे.
लेकिन, साल 2021 में भाजापा सांसद रामस्वरूप शर्मा के निधन से ये सीट खाली हो गई. जिसके बाद इस सीट पर उपचुनाव हुए थे. इस उपचुनाव में बीजेपी ने ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा था. जबकि कांग्रेस पर्टी की ओर से प्रतिभा सिंह ने चुनाव लड़ा था और उन्होंने भाजपा उम्मीदवार को 8 हजार 766 वोटों से हराया था. प्रतिभा सिंह को 3 लाख 65 हजार 650 वोट मिले थे, जबकि भाजपा को 3 लाख 56 हजार 884 वोट मिले थे.
मंडी लोकसभा चुनाव का इतिहास
मंडी लोकसभा सीट पर राजपूत और ब्राह्मण नेताओं का दबदबा रहा है. वर्ष 1952 आम चुनाव में अनुसूचित जाति (SC) उम्मीदवार के तौर पर गोपी राम ने जीत हासिल की. लेकिन, इसके बाद से हर बार राजपूत या ब्राह्मण सांसद चुने गए. साल 1952 के आम चुनाव में कांग्रेस की राजकुमारी अमृत कौर को जीत मिली. लेकिन साल 1957 में कांग्रेस ने राजा जोगिंदर सेन बहादुर को जीत मिली थी. इसके बाद साल 1962 और 1967 में ललित सेन विजयी रहे. और साल 1971 में कांग्रेस से वीरभद्र सिंह ने जीत दर्ज की.
आपातकाल के बाद हुए साल 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी से गंगा सिंह को जीत मिली. लेकिन साल 1980 में कांग्रेस ने एक बार खिर इस सीट पर अपना कब्जा जमा लिया और वीरभद्र सिंह को सांसद चुना गया. परंतु साल 1984 में कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह की जगह सुखराम को उम्मीदवार बनाया. सुखराम सांसद चुने गए. वर्ष 1989 में बीजेपी उम्मीदवार महेश्वर सिंह ने जीत दर्ज की.
साल 1991 के आम चुनाव में कांग्रेस से सुखराम सांसद चुने गए. उन्होंने ये सीट साल 1996 तक बरकरार रखी. लेकिन साल 1998 चुनाव में भाजपा ने वापसी की और महेश्वर सिंह ने जीत दर्ज की. उन्होंने यह सीट साल 1999 आम चुनाव में भी बरकरार रखी.
साल 2004 में कांग्रेस की ओर से प्रतिभा सिंह को चुनाव में उतारा. प्रतिभा सिंह सांसद चुनी गईं. साल 2009 आम चुनाव में वीरभद्र सिंह खुद सांसद चुने गए. साल 2013 में उपचुनाव हुआ. जिसमें प्रतिभा सिंह फिर से सांसद बनीं.
साल 2014 आम चुनाव में भाजपा की ओर से रामस्वरूप शर्मा को जीत मिली. उन्होंने यह सीट साल 2019 तक बरकरार रखी. लेकिन साल 2021 में उनका निधन हो गया जिसके कारण उपचुनाव हुए और कांग्रेस से प्रतिभा सिंह ने जीत हासिल की.
मंडी सीट का जातीय समीकरण
मंडी सांसदीय क्षेत्र में 33.6 प्रतिशत आबादी राजपूतों की है. जबकि 21.4 प्रतिशत ब्राह्मण हैं. मंडी में अनुसूचित जाति (SC) की आबादी 29.85 प्रतिशत है, जो ब्राह्मण आबादी से ज्यादा है. लेकिन इस सीट पर अब तक केवल एक बार ही अनुसूचित जाति से सांसद चुना गया था. वर्ष 1952 के आम चुनाव में गोपी राम पहली बार सांसद चुने गए थे.
मंडी क्षेत्र में विधानसभा सीटों का गणित
हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी लोकसभा सीटों में से एक मंडी लोकसभा सीट है. यहां कई मंदिर हैं, इसलिए मंडी को छोटी काशी भी कहा जाता है. इस शहर में 300 से अधिक मंदिर हैं. मंडी लोकसभा क्षेत्र में 17 विधानसभा सीटें हैं. इसमें भरमौर, लाहौल और स्पीति, किन्नौर, मनाली, कुल्लू, बंजार, आनी, करसोग, सुंदरनगर, नाचन, सेराज, दरंग, जोगिंदरनगर, मंडी, बल्ह, सरकाघाट और रामपुर समेत 17 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इसमें से 12 सीटों पर भाजपा का कब्जा है.