शिमला: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए हिमाचल प्रदेश की चार में से दो सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. बीते शनिवार कांग्रेस हाईकमान की ओर से जारी सूची में मंडी और शिमला लोकसभा सीटों पर दोनों मौजूदा विधायकों को उम्मीदवार बनाया है. इनमें एक कैबिनेट मंत्री है. दो अन्य लोकसभा सीटों हमीरपुर और कांगड़ा पर पेंच फंसा हुआ है. इन सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं हुए हैं. इसी तरह विधान सभा उपचुनाव की छह सीट पर भी अभी प्रत्याशी तय नहीं हो पाए हैं.
देश में सुर्खियां बटोर रही मंडी लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार कंगना रनौत के मुकाबले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे. जबकि शिमला लोकसभा सीट पर मौजूदा विधायक विनोद सुल्तानपुरी को उतारा गया है. 42 वर्षीय विनोद सुल्तानपुरी शिमला संसदीय क्षेत्र के सोलन जिला के कसौली से विधायक हैं. वह पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं. उनका मुकाबला भाजपा के शिमला से मौजूदा सांसद सुरेश कश्यप से होगा. उनके पिता स्वर्गीय केडी सुल्तानपुरी के नाम शिमला लोकसभा सीट पर लगातार छह बार कांग्रेस सांसद बनने का रिकॉर्ड है.
मंडी सीट से भाजपा की उम्मीदवार व बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रणौत से मुकाबले के लिए कांग्रेस ने एक बार फिर वीरभद्र परिवार पर भरोसा जताया है. यहां से उम्मीदवार बनाए गए विक्रमादित्य सिंह दिवंगत वीरभद्र सिंह के सुपुत्र हैं. वह शिमला ग्रामीण के विधायक हैं और सुक्खू सरकार में लोक निर्माण और शहरी विकास जैसे बड़े विभागों के मंत्री हैं. कांग्रेस हाई कमान ने मंडी सीट से निवर्तमान सांसद प्रतिभा सिंह का टिकट काट दिया है.
प्रतिभा सिंह प्रदेश कांग्रेस की कमान संभाले हुए है. प्रतिभा सिंह ने वर्ष 2021 में मंडी सीट पर हुए लोकसभा उपचुनाव में भाजपा को हराकर सबको चौंका दिया था. उस वक्त प्रदेश की सत्ता पर भाजपा का कब्जा था और जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री थे. प्रतिभा सिंह ने इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था.
विक्रमादित्य सिंह की तेज तर्रार नेता की छवि, भाजपा की कंगना से होगा मुकाबला
प्रतिभा सिंह की जगह उम्मीदवार बनाए गए उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह तेज़ तर्रार नेता के तौर पर उभरे हैं. 37 साल की कंगना से मुकाबले के लिए 35 साल के विक्रमादित्य सिंह को चुनाव मैदान में उतार कर कांग्रेस ने युवा वोटरों को आकर्षित करने का दांव चला है. दरअसल विक्रमादित्य सिंह अपने बयानों के लिए काफी चर्चा में रहते हैं और प्रदेश के युवाओं के बीच उनकी अच्छी पैठ है. मंडी लोकसभा सीट पर वीरभद्र परिवार छह बार परचम लहरा चुका है. स्वर्गीय वीरभद्र सिंह और प्रतिभा सिंह तीन-तीन बार मंडी से लोकसभा सांसद रहे हैं. वीरभद्र सिंह परिवार का मंडी संसदीय क्षेत्र के रामपुर, लाहौल स्पीति और किन्नौर के इलाकों में अच्छा प्रभाव है.
शिमला लोकसभा सीट पर रहा कांग्रेस का दबदबा, केडी सुल्तानपुरी के नाम रिकॉर्ड
शिमला आरक्षित लोकसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. ज्यादातर यहां से कांग्रेस जीतती रही है. पिछले 15 वर्षों से यह सीट भाजपा के कब्जे में है. कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार घोषित बिनोद सुल्तानपुरी के पिता स्वर्गीय केडी सुल्तानपुरी ने इस लोकसभा सीट पर ऐसा दुर्ग बनाया जिसे उनके चुनाव मैदान में रहते कोई भेद नहीं पाया. वह लगातार छह बार यहां से विजयी रहे. उनके लगातार जीत के रिकार्ड को कोई नहीं तोड़ पाया है. केडी सुल्तानपुरी के चुनाव मैदान से हट जाने के बाद ही भाजपा शिमला संसदीय सीट पर अपना झंडा लहरा पाई. वह 1980, 1984, 1989, 1991, 1996 और 1998 में यहां से विजयी हुए थे. लगातार छह लोकसभा चुनाव जीतने वाली कांग्रेस 13वें लोकसभा चुनाव में इस दुर्ग को बचा नहीं पाई. वर्ष 1999 में केडी सुल्तानपुरी ने चुनाव नहीं लड़ा. उस दौरान हिमाचल विकास कांग्रेस के सिपाही धनीराम शांडिल ने कांग्रेस के इस दुर्ग को भेदा था.
बहरहाल, शिमला और मंडी लोकसभा सीटों पर युवा और वर्तमान विधायकों को प्रत्याशी बनाकर कांग्रेस ने चुनावी मुकाबले को बेहद रोचक बना दिया है. प्रदेश की चार में से दो लोकसभा सीटों पर मौजूदा विधायकों को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस ने यह संदेश दिया है कि सूबे में उनकी सरकार पर कोई खतरा नहीं है.
ध्यान रहे कि हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की 68 सीटें हैं. 16 माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 40 सीटें जीती थी जबकि भाजपा को 25 सीटें मिली थी. तीन सीटें निर्दलीयों के खाते में गई. पिछले दिनों राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी. इसके अगले दिन विधानसभा में कटौती प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस के छह विधायकों के गैरहाजिर रहने पर स्पीकर ने उन्हें अयोग्य करार दिया था और उनकी सदस्यता को रद्द कर दिया था. इस राजनीतिक उठापठक के बाद कांग्रेस के छह विधायक कम हो गए हैं और 62 सदस्य हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 40 से घटकर 34 रह गई है. हालांकि कांग्रेस के पास अभी भी विधानसभा में बहुमत है. जबकि भाजपा के 25 विधायक हैं. तीन निर्दलीय विधायक भी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो चुके हैं. हालांकि स्पीकर ने अभी तक उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया है.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार