कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में भी लोकसभा चुनावों की तारीख जैसे-जैसे पास आ रही है बयानबाजी का पारा चढ़ रहा है. इन दिनों प्रदेश में आज कल हर तरफ कंगना रनौत की चर्चा है. भाजपा ने कंगना को जबसे मंडी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है, तबसे हिमाचल में सियासत गरमाई हुई है. इसी कड़ी में ताजा बयान मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) सुंदर ठाकुर की ओर से आया है. कुल्लू में सुंदर ठाकुर ने कंगना रनौत पर हमला करते हुए कहा कि आपदा के समय कंगना रनौत ने हिमाचल से मुंह मोड़ा और आज वो किस मुंह से कह रही है कि वह हिमाचल की बेटी हैं. उन्होंने कहा कि यह चुनाव है कोई फिल्म नहीं है.
सुंदर ठाकुर ने कहा कि यह चुनाव है किसी फिल्म का प्रमोशन नहीं, कि आपने दो महीने में ढिंका चिका, ढिंका चिका करके फिल्म बना ली. जिसने बचपन में हिमाचल छोड़ दिया हो और हम मानते हैं कि उन्होंने फिल्मों में अपने लिए नाम कमाया है, हम उसकी सराहना करते हैं. हिमाचल को भी उसपर गौरव है परंतु राजनीति सेवा करने के लिए है, फिल्में मनोरंजन के लिए है. ये चुनाव मनोरंजन के लिए नहीं हो रहे हैं.
सीपीएस ने भाजपा उम्मीदवार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने अपने सोशल मीडीया अकाउंट ‘एक्स’ पर खुद लिखा था कि वह अपने आप को गौ मांस का सेवन करने से नहीं रोक पाई है. ऐसे में अब वह किस तरह से इस बात से इनकार कर रही है कि उन्होंने कभी गौ मांस का सेवन नहीं किया है. एक्स पर उन्होंने खुद इस बारे में जनता को जानकारी दी थी. कंगना रनौत फिल्म जगत की एक बेहतरीन अभिनेत्री हैं और उन्हें फिल्म जगत में ही अपने भविष्य पर ध्यान देना चाहिए.
सुंदर ठाकुर ने 6 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के बागियों को टिकट देने और मंडी से कंगना को उम्मीदवार बनाने को लेकर बीजेपी पर भी हमला किया है. उन्होंने कहा कि भाजपा खुद को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी कहती है परंतु उसके पास चुनाव में उतारने के लिए लोग नहीं हैं.
सीपीएस ने कहा कि क्या बीजेपी के संगठन में नेताओं की कमी है जो उन्हें पैराशूट से उम्मीदवार उतारने पड़ रहे हैं. उनके पास मजबूत और टिकाऊ नहीं बिकाऊ नेता है. राज्यसभा चुनाव के बाद 6 विधासभा के उपचुनाव में बिकाऊ नेताओं को अपने साथ लेकर चल रहे हैं. जो संगठन ढींगे हांकता है कि हम विश्व की सबसे बड़ी पार्टी हैं और उनके पास चुनाव लड़ाने के लिए कार्यकर्ता नहीं है.
सीपीएस सुंदर ठाकुर ने कहा कि आज बीजेपी में बिकाऊ नेताओं का बोलबाला है और संगठन में कर्मठ कार्यकर्ताओं की कोई वैल्यू नहीं है. पार्टी में अगर कर्मठ कार्यकर्ताओं की इज्जत होती तो आज पैराशूट से नेता चुनावी मैदान में नहीं उतारे जाते.