शिमला: हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार के मंत्रियों और बागी विधासकों के बीच आरोप प्रत्यारोप लगातार जारी है. इसी कड़ी में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने पूर्व विधायक राजेंद्र राणा के शिमला शहर के लिए निर्माणाधीन पानी के प्रोजेक्ट पर अनियमितता बरते जाने के आरोपों पर साफ कहा कि शिमला शहर के लिए 24 घंटे पानी देने के लिए निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है.
कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने राजेंद्र राणा द्वारा लगाए आरोपों पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि शिमला के लिए 24 घंटे पानी के लिए निर्माणाधीन प्रोजेक्ट को दो चरणों में पूरा किया जा रहा है. इसमें एक चरण में सतलुज नदी से पानी लिया जा रहा है, वहीं दूसरे चरण में शिमला शहर के लिए 24 घंटे पानी का सही तरह से डिस्ट्रीब्यूशन किया जाना है. जिसके लिए नियमों के तहत L-1 फर्म को कार्य का जिम्मा सौंपा गया है. इसके लिए बकायदा नियम और कायदे के तहत टेंडर प्रक्रिया को पूरा किया गया है.
विक्रमादित्य सिंह ने राजेंद्र राणा के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने के लिए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर का गठन किया गया है. जिसमें आईटीआई रुड़की के सदस्यों, इंडिपेंडेंट डायरेक्टर और एक्सपर्ट शामिल हैं. इनके निर्णय के बाद ही 23 फरवरी को L-1 फॉर्म को काम अवार्ड किया गया. जिस पर 13 मार्च को कैबिनेट की मुहर लगने के बाद कार्य को अवार्ड किया गया है. सरकार ने 100 करोड़ रुपए फर्म को जारी किए, जिसमे से 10 करोड़ के किक बैक की चर्चाएं बाजार में हो रही हैं. परंतु अब तक फर्म को एक भी रुपया नहीं दिया गया.
लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि हिमाचल सरकार की जवाबदेही जनता के प्रति है. इसलिए आने वाले दिनों में प्रोजेक्ट को लेकर पूरा रिकॉर्ड लोगों के समक्ष रखा जाएगा. बता दें कि राजेंद्र राणा और सुधीर शर्मा हाल ही में शिमला शहर के लिए निर्माणाधीन 24 घंटे पानी की सप्लाई देने का लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक द्वारा वित्त पोषित प्रोजेक्ट को लेकर सरकार पर अनियमितताएं बरतने के आरोप लगाए है.
राजेंद्र राणा ने कहा,15 मार्च को ही चुनाव आयोग ने एक प्रेस नोट जारी किया था, जिसमें 16 मार्च को चुनाव की तारीखों का ऐलान किए जाने का हवाला दिया गया था. इसके बाद आनन-फानन में 15 मार्च को ही कंपनी को एडवांस में 100 करोड़ की राशि जारी कर दी गई, जो संदेह पैदा कर रहा है. राणा ने कहा कि प्रोजेक्ट के लिए तीन बार टेंडर आमंत्रित किए गए थे, जिसमें हर बार सिर्फ एक ही फर्म ने टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया. इस पर संबंधित विभाग के मंत्री ने फाइल में एक फर्म को काम नहीं दिए जाने का हवाला दिया था. परंतु इसके बाद भी इस कैबिनेट में लाकर पारित कर दिया गया.