हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है. देश के अलग-अलग हिस्सों में इस दिन को अगल-अलग तरह से मानाया जाता है. महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा के रूप में तो वहीं आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में उगादी या फिर संवत्सरदी युगादी के रुप में मनाया जाता है.
इस वर्ष 9 अप्रैल से नया विक्रम संवत 2081 प्रारंभ हो जाएगा. यानी हिंदू नव वर्ष की शुरुआत हो जाएगी. इस दिन नवरात्रि का भी आरंभ होता है. ‘नवरात्रि’ शब्द से नव अहोरात्रों (विशेष रात्रियों) का बोध होता है. इस समय शक्ति के नवरूपों की उपासना की जाती है. ‘रात्रि’ शब्द सिद्धि का प्रतीक है.
मनीषियों ने वर्ष में 2 बार नवरात्रों का विधान बनाया है. विक्रम संवत के पहले दिन अर्थात चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (पहली तिथि) से 9 दिन अर्थात नवमी तक और इसी प्रकार ठीक 6 मास बाद आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी अर्थात विजयादशमी के 1 दिन पूर्व तक.
क्यों मनाते है नवरात्रि?
ब्रह्मा जी की सलाह के अनुसार प्रतिपदा से लेकर नवमी तक माता चंडी को प्रसन्न करने के लिए प्रभु श्री राम ने अन्न जल त्याग दिया थी. नौ दिनों तक माता दुर्गा के स्वरूप चंडी देवी की उपासना करने के बाद भगवान राम को रावण पर विजय प्राप्त हुई थी. ऐसा माना जाता है कि तभी से नवरात्रि मनाने और 9 दिनों तक व्रत रखने की शुरुआत हुई. ऐसे में भगवान राम ही नवरात्रि के 9 दिनों तक व्रत रखने वाले पहले राजा और पहले मनुष्य थे.