धर्मशाला: भारतीय जनता पार्टी ने कांगड़ा-चम्बा लोकसभा सीट से एक ऐसे उम्मीदवार को प्रत्याशी बनाया है जो पिछले कई दशकों से सिर्फ संगठन के लिए ही काम करते रहे हैं. वर्तमान सांसद किशन कपूर का टिकट काटकर नए प्रत्याशी पर दांव खेलकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने संगठन के सिपाही डॉ. राजीव भारद्वाज को उम्मीदवार बनाया है. वर्तमान सांसद किशन कपूर भले ही पिछले चुनावों में रिकॉर्ड मतों से जीतकर लोकसभा पंहुचे थे बावजूद इसके उन्हें इस बार टिकट नही मिल पाया है.
पार्टी ने एक ऐसे व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया जिसने पिछले लंबे समय से संगठन के लिए काम किया और अभी तक एक बार भी न विधानसभा और न ही लोकसभा का चुनाव लड़ा. हालांकि इससे पहले दो बार नूरपुर और धर्मशाला से उनका नाम विधानसभा प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर चला लेकिन टिकट नही मिल पाई. इसके बावजूद वह संगठन के प्रति पूरी ईमानदारी के साथ काम करते रहे. डॉ. राजीव भारद्वाज को उनके साधारण व्यक्तित्व और संगठन के प्रति ईमानदारी से काम करने का इनाम उन्हें मिला है. डॉ. भारद्वाज के व्यक्तित्व को देखते हुए उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने से पार्टी के नेताओं में भी किसी तरह का कोई मतभेद नही है. सभी पार्टी नेता उनको उम्मीदवार बनाए जाने से खुश हैं.
गौरतलब है कि कांगड़ा-चंबा सीट से करीब आधा दर्जन से अधिक भाजपा नेता टिकट के लिए जोड़-तोड़ कर रहे थे. लेकिन पार्टी ने लंबे समय से संगठन कार्य में जुटे डॉ. राजीव भारद्वाज को टिकट दिया है. डॉ. राजीव भारद्वाज भाजपा के वर्तमान प्रदेश उपाध्यक्ष है और लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़े हैं. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी में विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया है.
राजीव भारद्वाज पूर्व भाजपा सरकारों में एचआरटीसी के उपाध्यक्ष के अलावा कांगड़ा कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उनका जन्म नौ फरवरी 1963 को हुआ. वह मूलतः कांगड़ा जिला के नूरपुर के रहने वाले हैं. 61 वर्षीय भारद्वाज का धर्मशाला के डीपो बाजार में भी घर है और वह पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद शांता कुमार के भी काफी करीबी हैं. भारद्वाज शांता कुमार को अपना राजनीतिक गुरू मानते हैं. डॉ. राजीव भारद्वाज नूरपुर में निजी चिकित्सक के रूप में कार्य करते है.
उधर डॉ भारद्वाज ने उन्हें कांगड़ा लोकसभा से प्रत्याशी बनाए जाने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और प्रदेश नेतृत्व का भी आभार जताया है. उन्होंने कहा कि जो भरोसा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उन पर जताया है उस पर वह पूरी तरह खरा उतरने का प्रयास करेंगे.
सांसद किशन कपूर को संसदीय क्षेत्र में निष्क्रियता पड़ी भारी
उधर किशन कपूर के टिकट कटने की बजह उनका अपने संसदीय क्षेत्र में कोई ज्यादा रूझान नही रहना भी बजह मानी जा रही है. कपूर पिछले पांच वर्षों के दौरान अपने संसदीय क्षेत्र में कोई ज्यादा एक्टिव नही दिखे जिसके चलते भी उन्हें टिकट से हाथ धोना पड़ा. वहीं धर्मशाला में पूर्व जय राम सरकार के समय में हुए पिछले उपचुनाव में अपने बेटे के लिए टिकट की पैरवी को लेकर भी पार्टी की नजरों पर कपूर की छवि सही नही रही थी. हालांकि बाद में उन्होंने पार्टी प्रत्याशी रहे विशाल नैहरिया का हाथ जरूर पकड़ा लेकिन तब तक वह पार्टी के बीच एक्सपोज हो चुके थे.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार