घरों के आसपास चहचाने और अपनी आवाज से सभी का मन मोह लेने वाली नन्हीं चिड़िया गौरैया आज विलुप्ल होने की कगार पर है जोकि पिछले लंबे वक्त से अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है. इसी को लेकर हर साल 20 मार्च के दिन को विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है इस दिन को मनाये जाने का उद्देश्य जहां एक तरफ इस विलुप्ति की कगार पर खड़ी प्रजाति को बचाना है, बल्कि दूसरी तरफ इसके बारे में लोगों को जागरूक भी करना है.
विश्व गौरैया दिवस का इतिहास
आज भारत के साथ दुनिया भर के कई देशों में गौरैया का दिखना बंद हो चुका है, लगातार कम हो रही इस नन्ही चिड़िया की संख्या को बढ़ाने के लिए हर साल विश्व गौरैया दिवस को मनाया जाता है. इस दिन के इतिहास को देखें तो इसकी शुरूआत साल 2009 में एक भारतीय संरक्षणवादी डॉ. मोहम्मद दिलावर ने इसकी ओर ध्यान दिया, जब घर में घरों में बसेरा बनाने वाली यह छोटी पक्षी अचानक दिखना बंद हो गयी. इसके बाद साल 2010 फ्रांस की इको सिस एक्शन फाउंडेशन की मदद से हर साल इसे मनाया जा रहा है.
विश्व गौरैया दिवस की थीम
इंसानों को पक्षियों से जोड़ने का दिन है विश्व गौरैया दिवस, ऐसे में इस बार कुछ ऐसी ही थीम रखी गई है जोकि दोनों के संबंधों को और भी ज्यादा गहरा करने में मदद करेगी. बता दें कि इस बार की थीम “I Love Sparrows” रखी गई है. जिसे काफी पसंद भी किया जा रहा है.
विश्व गौरैया दिवस का महत्व
आज के समय में विश्व गौरैया दिवस को मनाये जाने की प्रासंगिकता कई गुना ज्यादा बढ़ चुकी है. विकास की इस अंधी दौड़ में कहीं न कहीं लोग इन नन्हें पक्षियों का ख्याल रखना भूल गये हैं. गौरैया कुछ खास किस्म के कीटों को खाती है जिसकी मदद से हमारे इको सिस्टम में बैलेंस आता है, इन चिड़ियाओं की संख्या कम होने से न केवल कीटों की संख्या बढ़ती है बल्कि प्रकृति का संतुलन भी बिगड़ता है. ऐसे में इस खास दिन से शुरूआत कर अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलावों को लाकर और जागरूकता बढ़ाकर गौरैया समेत कई दूसरे पक्षियों के लिए भी कदम उठा सकते हैं. विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day in Hindi) का सबसे बड़ा उद्देश्य गौरैया की जनसंख्या को बढ़ाने में योगदान देना भी है.
गौरैया दिवस के बारे में रोचक बातें
यूं तो नन्ही और प्यारी चिड़िया गौरैया में कई खूबियां हैं, मटमेले रंग वाली यह पक्षी जहां एक तरफ आकार में काफी छोटी होती है तो वहीं इसकी चहचाहट भी ज्यादातर लोगों को पसंद आती है. यहां इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बता रहे हैं-
1. लिंग के अनुसास नर और मादा गौरैया में थोड़ा अंतर होता है. जहां एक तरफ मादा के पास है धारियों वाली भूरी पीठ होती है तो वहीं दूसरी तरफ नर की पीठ लाल रंग की होती है साथ ही उस पर काले बिब होते हैं.
2. इसके अलावा नर आकार में थोड़ा बड़ा भी होता है.
3. गौरैया अक्सर झुण्ड में बस्तियों में निवास करना पसंद करती हैं. इसलिए जहां भी गौरेया दिख जाए तो यह समझना चाहिए कि उसका परिवार भी आसपास ही है.
4. गौरैया को अगर कभी खतरा महसूस हो तो वे तेज गति से तैर सकती हैं.
5. गौरैया प्रकृति में सुरक्षात्मक होती हैं ज्यादातर ये अपना घोंसला बनाकर उसी में रहना पसंद करती हैं.
6. इसमें नर गौरैया अपनी मादाओं को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए घोंसले का निर्माण करते हैं.
7. गौरैया आमतौर पर अपने बच्चों को अल्फा और कटवर्म नाम के कीड़े खिलाती है जोकि फसलों से उन कीड़ों से बचाने का काम भी करती है.