शिमला: हिमाचल प्रदेश की हमीरपुर लोकसभा सीट पर इस बार भी कांग्रेस की राह आसान रहने वाली नहीं है. भाजपा ने अपने कद्दावर नेता व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को इस सीट से फिर उम्मीदवार बनाया है. अनुराग ठाकुर लगातार चार बार यहां से जीत दर्ज कर चुके हैं. हर बार उनकी जीत का अंतर विशाल रहा है. कांग्रेस इस सीट पर 28 साल से लगातार हार रही है. बीते आठ लोकसभा चुनाव से कांग्रेस को हमीरपुर से पराजय का मूंह देखना पड़ रहा है. कांग्रेस को आखिरी बार 1996 में यहां जीती मिली थी.
कांग्रेस इस बार भी इस सीट को बड़ी चुनौती मानकर चल रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री हमीपुर संसदीय क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं. ऐसे में इन दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर है. सुक्खू और अग्निहोत्री के अलावा कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी के कंधों पर भाजपा का विजय रथ रोकने की जिम्मेदारी है. अभी तक कांग्रेस अपने उम्मीदवार को घोषित नहीं कर पाई है.
कांग्रेस सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले छह में से चार बागी व निष्कासित विधायक इसी संसदीय क्षेत्र से हैं. ये बागी कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं.
दरअसल संसदीय क्षेत्र के 17 विधानसभा क्षेत्रों में से 10 कांग्रेस के विधायक हैं, जबकि पांच पर भाजपा और दो पर निर्दलीय हैं. अयोग्य घोषित कांग्रेस के तीन विधायक इस संसदीय क्षेत्र से हैं. इनमें सुजानपुर से राजेंद्र राणा, गगरेट से चैतन्य शर्मा और बड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल शामिल हैं. देहरा से होशियार सिंह और हमीरपुर शहर से आशीष शर्मा निर्दलीय विधायक हैं जो राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को वोट कर चुके हैं.
नड्डा, धूमल और सुक्खू का है गृह संसदीय क्षेत्र
यह पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का गृह संसदीय क्षेत्र है. सीएम सुक्खू का भी गृह इलाका है. राजनीतिक धुरंधरों की भरमार के चलते एक बार फिर हमीरपुर संसदीय सीट हॉट मानी जा रही है. बेशक इस सीट पर कांग्रेस की जीत से दूरी ढाई दशक की हो गई है, लेकिन प्रदेश में अब सत्तासीन कांग्रेस सरकार के सीएम सुक्खू ने मुकाबले को रोचक बना दिया है.
हमीरपुर सीट पर हुए कुल 16 लोकसभा चुनावों में भाजपा को 10 बार और कांग्रेस को पांच बार जीत मिली है, जबकि एक बार जनता पार्टी ने जीत हासिल की है. वर्ष 1998 से इस सीट पर भाजपा अपना परचम लहरा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के परिवार का इस सीट पर वर्ष 2007 से कब्जा रहा है.
वर्ष 2007 में इस सीट पर धूमल विजयी हुए थे. इसके बाद से यह सीट धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर के पास है. अनुराग इस सीट पर पहले ऐसे प्रत्याशी हैं, जिन्होंने जीत का चौका लगाया है. इस सीट से तीन बार जीत हासिल करने वाले सुरेश चंदेल को लोकसभा में एक विवाद के चलते वर्ष 2007 में सीट गंवानी पड़ी थी. उपचुनाव में प्रेम कुमार धूमल ने इस सीट से जीत हासिल की. लेकिन, उनके मुख्यमंत्री बनने से यहां दोबारा उपचुनाव हुआ और अनुराग ठाकुर विजयी हुए. इस जीत के बाद से लगातार अनुराग ठाकुर लोकसभा में हमीरपुर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
हमीपुर संसदीय क्षेत्र में 65,902 वोटर हैं. जातीय समीकरण की बात करें तो राजपूत वोटरों की तादाद सबसे ज्यादा है. संसदीय क्षेत्र में 5.25 लाख राजपूत, 2.95 लाख ब्राह्मण, 3.44 लाख अनुसूचित जाति, 29 हजार अनुसूचित जनजाति और 2.15 लाख ओबीसी वोटर हैं.
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र पांच जिलों के विधानसभा क्षेत्रों को जोड़कर बना है. इसमें मंडी जिला से धर्मपुर, हमीपुर जिला के भोरंज, सुजानपुर, हमीरपुर, नादौन, बड़सर, बिलासपुर जिला से बिलासपुर सदर, घुमारवीं, झंडूता, श्री नयनादेवी, ऊना जिला से ऊना सदर , गगरेट, चिंतपूर्णी, हरोली, कुटलैहड़, कांगड़ा जिला से देहरा और जसवां-परागपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. हमीरपुर जिला की भोरंज, बिलासपुर की झंडूता और ऊना की चिंतपूर्णी विधानसभा सीट कुल तीन विस क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार