मंडी: अंतर्राष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि महोत्सव 2024 के अवसर पर बाबा भूतनाथ के प्रांगण में आयोजित होने वाली चौहटे की जातर के बाद मेले आए जनपद के अधिकांश देवता अपने-अपनेे गांव लौट गए हैं. चौहटे की जातर के रूप में बाबा भूतनाथ के प्रांगण चौहटा बाजार में शिवरात्रि मेले का अंतिम देवसमागम आयेाजित होता है. जिसे चौहटा की जातर के नाम से जाना जाता है.
शुक्रवार (15 मार्च) को सुबह से की चौहटा बाजार में देवसमागम सजने लग गया था. मेले के दौरान छह दिनों तक पड्डल मैदान में देवी -देवता बैठते हैं. मगर मेले के अंतिम दिन सभी देवी-देवता चौहटा के देव समागम में पहुंचे. वहीं पर जनपद के बड़ा देव कमरूनाग भी छह दिनों तक टारना की पहाड़ियों में स्थित श्यामाकाली मंदिर में विराजने के बाद शुक्रवार सुबह मंडी शहर में लौट आए. राजा के बेहड़े में उनका स्वागत सत्कार यिकया गया. इसके पश्चात कमरूनाग देवी-देवमाओं से मिले. वहीं कुछ देर तक सेरी चानणी की सीढ़ियों पर विराजमान हुए और श्रद्धालुओं को दर्शन दिए.
चौहटा की जातर के बाद अंतर्राष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि में आए देवी-देवता पड्डल मैदान में देव समागम के बाद वापस अपने गांव लौट जाते हैं. चौहटा की जातर में लोगों की भारी भीड़ उनके दर्शनों के लिए उमड़ पड़ी. इससे पूर्व मेला कमेटी के अध्यक्ष की ओर से राज राजेश्वरी के मंदिर में पूजा अर्चना की गई. इस दौरान छोटी जलेब निकलाी गई, जिसमें पुलिस बैंड के साथ राजदेवता की पालकी भी शामिल रही. जहां मेला कमेटी अध्यक्ष उपायुक्त अपूव्र देवगन की ओर से गणेश पूजन किया गया.
इसके पश्चात बेहड़े में ठहरे देवी देवताओं को मिठाई , नारियल और चादर भेंट की गई. इसके पश्चात बाबा भूतनाथ की पूजा के बाद मेला कमेटी के अध्यक्ष द्वारा चौहटा में विराजमान देवी देवताओं को व्यापार मंडल की ओर से भी पूजा की थाली भेंट की गई. जिसमें फल, शालू व नारियल आदि सामग्री मौजूद रही. चौहटा में कुछ देर बैठने के पश्चात देवी देवता आपस में गले मिलते हैं और वापस अपने -अपने गांव लौट गए.
एक सप्ताह तक मंडी शहर ढोल—नगाड़ों ,शहनाई—करनाल और रणसिंगों के समवेत सवरों से गुंजायमान रहा. जबकि कुछ देवता और उनके देवलू राजदेवता माधोराय की अंतिम जलेब में शामिल हुए और नाचते गाते हुए अपने देवता के साथ अपने-अपने गांव लौट गए.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार