मंडी: सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव के चलते छोटी काशी कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश के मंडी शहर में देवलोक जैसा नजारा इन दिनों बना हुआ है. यह महोत्सव 15 मार्च को प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल द्वारा किए जाने वाले समापन के साथ संपन्न होगा. उस दिन मेले की तीसरी व समापन जलेब यानी शोभायात्रा राज देवता माधो राय की अगुवाई में निकलेगी और इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों से आए चार सौ के लगभग देवी देवताओं की पालकियां विदाई ले लेंगी.
लगभग 200 पंजीकृत और इतने ही गैरपंजीकृत देवी देवताओं की सजी धजी पालकियां, मोहरे, प्रतीक चिह्न इस समय मंडी में विराजमान हैं. हजारों देवलु भी उनके साथ हैं. हर तरफ शहनाईयां बज रही हैं, ढोल नगाड़ों की ध्वनि हो रही है, रणसिंघों, करनालों की ध्वनि से आसमान गूंज रहा है, हजारों की संख्या में बजंतरी इस लोक वाद्यों की ध्वनि के साथ अपने अपने देवी देवताओं के आगे ध्वनि करते हुए शहर के विभिन्न विभागों से पड्डल मैदान तक जा रहे हैं जहां पर लोग अपने अपने अराध्य देवी देवताओं के आगे नतमस्तक हो रहे हैं, आशीर्वाद ले रहे हैं, मनौतियां मांग रहे हैं व अपनी मनोकामना पूरी होने की सूरत में उनका अभिवादन कर रहे हैं. शाम को वापस अपने अपने ठहराव स्थलों पर इसी तरह नाचते गाते देवलुओं व देव ध्वनि के साथ लौट रहे हैं. पूरा शहर सजा हुआ है, मेले में रोजाना लाखों करोड़ों की खरीददारी हो रही है. देवमय मंडी में यह देव समागम अद्भुत दृश्य बनाए हुए हैं.
इसी बीच इंद्र देवता भी सक्रिय हो गए हैं. यूं तो मेले के दौरान हर दिन ही थोड़ी बहुत बूंदाबांदी हुई है मगर बुधवार को मौसम ने अपना विराट रूप धारण कर लिया.
मौसम में ठंड लौट आई. तापमान 10 डिग्री से भी नीचे चला गया. शाम होते होते बारिश भी शुरू हो गई, मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार यह दौर रात भर व गुरूवार दिन को भी रहेगा. हालांकि समापन के दिन 15 मार्च को मौसम के साफ रहने की भविष्यवाणी है. बारिश के चलते आयोजकों के चेहरों पर भी चिंता की लकीरें पड़ गई हैं. मेले में आए लोग भी परेशान होने लगे हैं, खुले में चल रहे मेले में देवी देवताओं को भी मुश्किल आने लगी है. कहा जा सकता है कि बारिश ने मेले में खलल पैदा कर दिया है. इसके चलते सभी इंतजाम भी छोटे पड़ने लगे हैं. देखना होगा कि अब जबकि मेले के दो दिन बाकी बचे हैं इनमें मौसम क्या रूख अपनाता है.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार