मंडी: अंतर्राष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि महोत्सव 2024 का आगाज चार बेहतरीन नाटकों की प्रस्तुतियों के साथ हुआ. सांस्कृतिक राजधानी मंडी के गौरव को देश भर में बढ़ाने वाली स्थानीय संस्थाओं ने अपने नाम को सार्थकता प्रदान करते हुए एक से बढ़कर एक नाटकों को प्रस्तुत किया.
सांस्कृति सदन मोतीपुर कांगणी धार में आयोजित नाट्योत्सव की प्रथम संध्या में चार नाटक प्रस्तुत किए गए. जिनमें जागृति कला मंच मंडी के कलाकारों द्वारा मेरी डायरी के तीन पन्ने, आकार थियेटर सोसाइटी की ओर से बेसहारा औरत , नवज्योति कलामंच की ओर से एक टुकड़ा सत्य और हिमाचल सांस्कृतिक शोध संस्थान के कलाकारों द्वारा द बीयर नाटक का मंचन किया.
चारों नाटक अपने-अपने कथानक, मंचीय प्रस्तुति के हिसाब से दर्शकों को प्रभावित करने में सफल रहे. आकार थियेटर सोसासयटी द्वारा प्रस्तुत नाटक बेसहारा औरत मशहूर रूसी लेखक नाटककार अंतोन चेखव की कहानी का नाटय निर्देशन रंगकर्मी दीप कुमार ने किया. नाटक की कहानी एक परेशान और दर्द से कराहते बैक मैनेजर से शुरू होती है. जहां रुकमणी नाम की एक औरत अपने पति के पैसे वापस लेने के लिए बैंक में पहुंचती है और अपने तर्कों से बैंक मैनेजर की नाक में दम कर देती है. रुकमणी जोरदार ढंग से अपने तथ्य प्रस्तुत करती है और अंत में बैंक मैनेजर से अपने पति के पैसे वसूल करके ही दम लेती है. हास्य और मनोरंजन से भरपूर इस नाटक की भाषा मंडयाली रखी गई थी, जो दर्शकों को ज्यादा रोचक लगी. इस नाटक में बैंक मैनेजर की भूमिका रंगकर्मी वेद कुमार ने निभाई. जबिक बाबू के रूप में कशमीर सिंह, औरत सुमन, के.वाई. जी. खेम सिंह,मिहला रुकमणि के किरदार में दीप कुमार ने प्रभावित किया.
उसी प्रकार मशहूर नाटय निर्देशक इंद्रराज इंदू के निर्देशन में वरिष्ठ साहित्यकार योगेश्वर शर्मा की कहानी एक टुकड़ा सत्य का प्रभावी मंचन नव ज्योति कला मंच के कलाकारों द्वारा किया गया. एक टुकड़ा सत्य एक ऐसे युवा की कहानी है जो महत्वकांक्षी है. भविष्य की कल्पना करके आपने बापू के सपने को पूरा करने के लिए अपने मन में फैली अनंत भावनाएं लिए शहर की हर पटरी फलांग आता है. लेकिन हर जगह एक सा परिणाम रहता है. इस सारी प्रक्रिया और व्यवस्था में एक अजीब खलनायक जैसा शोर होता है. जहां उसकी और उस जैसे कई युवाओं की आवाज बार-बार खो जाती है. उसे अपने प्रोफेसर के शब्द रह रह कर याद आते हैं- यदि हमारे देश में कोई चीज योजनाबद्ध है तो वो भ्रष्टाचार है. वह अपने बापू का सपना पूरा करने की हर कोशिश करता है. और कहता है- हताश न होना बापू तलाश जारी है. अंत में वह भूल जाता है कि वह सपने में जागृत था या सपना उसमें जागृत था.
नाटक में मल्हार ने मुन्ना, रोहित सूत्रधार, याशिक मां, योगेश बाप, क्षितिज डाक्टर, मनस्वी व कृतिका नर्स, शाश्वत ,रीतू, अपूर्वा, जय कुमार, हरदेव और संजय ने अपने-अपने किरदार बखूबी निभाए. नाटयोत्सव की प्रथम संध्या की अंतिम प्रस्तुति के रूप में हिमाचल सांस्कृतिक शोध संस्थान के कलाकारों द्वारा ‘द बीयर’ नाटक का मंचन किया.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार