शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार (5 मार्च) को यहां पशुपालन विभाग की 1962-मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा का शुभारंभ किया, जिसके तहत प्रथम चरण में 44 विकास खंडों में एंबुलेंस उपलब्ध करवाई गई हैं. इस पर 7.04 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की गई है. इनमें से बिलासपुर, ऊना, सोलन व कुल्लू में तीन-तीन, लाहौल-स्पीति में दो, मंडी व शिमला में पांच, चंबा, सिरमौर व हमीरपुर में चार-चार, किन्नौर में एक तथा कांगड़ा जिला में सात मोबाइल एंबुलेंस उपलब्ध करवाई जा रही हैं. इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने पशु संजीवनी कॉल सेंटर का शुभारम्भ भी किया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन दोनों सेवाओं के आरंभ होने से प्रदेश के पशु पालक किसी भी कोने से टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल कर आपात स्थिति में गंभीर पशु रोगों के उपचार के लिए पशु चिकित्सा सेवा अपने घर-द्वार पर प्राप्त कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि प्रत्येक एंबुलेंस के साथ एक पशु चिकित्सक तथा एक फार्मासिस्ट उपलब्ध होंगे. जब भी किसी पशु पालक को आपात स्थिति में मदद चाहिए होगी, तो वह टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल कर सकेंगे और उन्हें नजदीकी पशु चिकित्सा सेवा के माध्यम से सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रदेश में पशु चिकित्सा सेवा किसी भी कार्य दिवस पर प्रातः नौ बजे से सायं पांच बजे तक उपलब्ध रहेगी. उन्होंने कहा कि भविष्य में चरणबद्ध तरीके से इस सेवा का विस्तार किया जा रहा है.
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार पशु पालकों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए अनेक कदम उठा रही है. हिमाचल प्रदेश दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने वाला देश का पहला राज्य है, जहां पर गाय का दूध 45 रुपये प्रति लीटर और भैंस का दूध 55 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा जा रहा है.
इस अवसर पर मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शानन परियोजना का पट्टा अवधि पूरी हो रही है और हिमाचल को उसका अधिकार मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर अपना पक्ष मजबूती के साथ रखेगी.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार